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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारे आसपास कई ऐसे लोग होते हैं ,जिनसे हमारा खून का रिश्ता हो या ना हो ,वो हमसे बेहद प्यार और हमारी परवाह करते हैं। पर हम इस व्यस्त जीवन में उन्हें वक़्त नहीं दे पाते हैं और इसी वजह से हम अक्सर उनके सामने अपने एहसासों को बयान नहीं कर पाते हैं।
"पैग़ाम-अपनों के नाम" नव-उदित एवं युवा लेखकों का संकलन है। सभी रचनाकारों की खूबसूरत शायरियों और कविताओं ने इस किताब में चार चांद लगा दिए हैं।
इस संकलन में भाग लेने वाले सभी सह-लेखकों ने अपने कुछ क़रीबी शख्स के नाम ,सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए, दिल छू लेने वाला पैगाम लिखा है।यह 'पैग़ाम' उनके नाम है,जिन्होंने उनकी जिंदगी को संवारने की भरपूर कोशिशें की हैं और जो हर अच्छे और बुरे वक़्त में उनका साथ देता रहा है।
संकलनकर्ताओं ने इस पुस्तक के शीर्षक पर रौशनी डालते हुए लिखा है:-
सोचा आज उन सबको धन्यवाद देते चले...
जिन्होंने दिया हर वक़्त हमारा साथ, उन्हें सौगात देते चले...
हाँ वक़्त की कमी ज़रूर है, इस भीड़ वाले शहर में,
इसलिए सोचा अपने अल्फाजों में लिखा उन्हें पैग़ाम देते चले...
राधा और रोहित
राँची शहर में पली बढ़ी इस नवोदित रचनाकार का नाम राधा है।इनका स्वभाव शांत तथा व्यक्तित्व बेहद सरल है।इनके लेखन का सफ़र वर्ष 2019 में mirakee , yourquote तथा nojoto जैसे एप्प्स पर प्रारंभ हुआ।
पर्यावरण , नारीवाद ,एवं अन्य सामाजिक विषयों पर लिखना इन्हें बेहद पसंद है जिनकी विधा कविताएं,शायरी एवं कहानियां के रूप में होती है।
इनकी रचनाएं सह-लेखक के तौर पर 11 से अधिक संकलनों में प्रकाशित हो चुके हैं।
इनका मानना है कि लेखन द्वारा हम सब अपने दिल की बात इस समाज तक आसानी से पहुँचा सकते हैं और इस समाज की बुराइयों को ख़त्म करने में योगदान दे सकते हैं।
लेखन के अलावा चित्रकारी, फोटोग्राफी एवं यात्रा करने में भी इनकी गहरी रुचि है। ये अपना प्रेरणास्रोत अपने माँ-पापा को मानती हैं,जिन्होंने अब तक उनके हर कदम पर उनका साथ दिया है।
इनसे जुड़ने के लिए आप यूट्यूब पर इनके चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं lafz_e_dil{Radha} तथा इंस्टाग्राम पर इनके पेज को फॉलो भी कर सकते हैं @lafz_e_dil__
ये रोहित कुमार, देश की राजधानी दिल्ली से हैं। इन्होंने पिछले साल ही अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। इन्होंने लगभग एक साल पहले अपना लेखन करियर शुरू किया है, जब उन्होंने लिखना शुरू किया था तो उन्होंने कभी भी इसके लिए इतना अभ्यस्त बनने के बारे में नहीं सोचा था कि अब सामान्य बातचीत से भी लयबद्ध ताल मिल जाती है और एक नया भाव पैदा होता है।
वह अपने सभी समर्थकों और दोस्तों के लिए आभारी है क्योंकि उनके समर्थन के कारण उनकी राय में लेखक बनना असंभव था।
वर्तमान में शब्द उसके लिए ऑक्सीजन की तरह हैं, शब्दों के बिना अस्तित्व आसान नहीं होगा। वह अपने शब्दों के लिए भी आभारी हैं क्योंकि वे ही हैं जो उन्हें हमेशा हर स्थिति में आश्वस्त करते हैं।
यू तो बहुत से लोग उनको नहीं जानते है लेकिन उसके शब्द उसके वर्णन के लिए पर्याप्त हैं। एक बार जब आप उसे पढ़ेंगे तो आप उसके शब्दों के माध्यम से उसकी एक दर्पण छवि देखेंगे।
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