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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘पल भर की छाँव’ की विषय वस्तु ऐसी है कि एक बार जब आप इसे पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर इसे समाप्त किये बिना रह ही नहीं सकते। यह एक उपन्यास ही नहीं एक ऐसा संस्मरणात्मक वृत्तांत भी है जो कि काल्पनिक होते हुए भी सत्य है। सत्य होते हुए भी काल्पनिक ! सब कुछ देखा, सुना, पढ़ा तथा अनुभव किया हुआ जैसा है। जिस पर प्राचीन काल से ही विश्वास किया जाता आ रहा है। ऐसी ही धारणा अन्य धर्मग्रंथों तथा जन साधारण की भी रही है तथा यह सब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत प्रमाणित हो रहा है। इसी अवधारणा को परिलक्षित करते हुए इस उपन्यास की रचना की गई है।
इसके रचनात्मक लेखन से पाठक को एक प्रकार के रचनात्मक भ्रम जाल में उलझा कर एक विश्वसनीय सत्य से अवगत करवाना है। इस की रचना का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत मनोरंजन के साथ परालौकिक विचारधारा से संबंधित विश्वसनीय तथ्यों से परिचय करवाना ही है।
राज ऋषि शर्मा
राज ऋषि शर्मा एक जाने माने लेखक, कवि तथा साहित्यकार होने के साथ साथ ही एक अच्छे चित्रकार भी हैं। राज ऋषि शर्मा की अनेक रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं तथा संग्रहों में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में 'सपनों की दुनिया' (विश्लेषणात्मक) का नाम लिया जा सकता है, जो स्वप्न विश्लेषण तथा इसके संदर्भ में विस्तृत मनोविज्ञान तथा विज्ञान पर आधारित है। इसके अतिरिक्त इनकी 'सफल जीवन' नाम की प्रेरणात्मक पुस्तक भी विशेष चर्चा में है। जिसमें जीवन में सफलता के विपरीत 'सफल जीवन' पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन की अन्य पुस्तकें हैं, 'स्वप्न विश्लेषण' 'सपनों का मायाजाल'(विश्लेषणात्मक) 'पल भर की छांव'(लोक-परलोक पर आधारित रोमांटिक उपन्यास) 'अदृश्य लोक’ (विश्लेषणात्मक) 'सुहाने पल' (काव्य-संग्रह) 'हर वर्ष पुनर्जन्म' (ई-बुक) एवं 'स्वप्न संसार' (ई-बुक)। अनेक विधाओं में इन की विभिन्न रचनाएँ रेडियो कश्मीर जम्मू द्वारा भी प्रसारित हो चुकी हैं।
राज ऋषि शर्मा १९७५ में 'महक' पत्रिका के संपादक एवं प्रकाशक भी रहे हैं एवं इसके साथ ही १९७७ में 'राजर्षि कल्चर क्लब' का संचालन भी इन की प्रमुख गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। इन दिनों लेखन कार्य के साथ साथ 'महकती वाटिका' नामक काव्य संग्रह का श्रृंखलाबद्ध रूप से सम्पादन व प्रकाशन भी कर रहे हैं।
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