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Pcos / पी-कॉस

Author Name: Gopal Agarwal | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

रोग समाज में हो या व्यक्ति में, उसे छिपाने या दबाने से दशा अधिक खराब होगी इसलिए उचित होगा कि लक्षण उभरते ही उपचार आरम्भ हो जाए।

प्रत्येक जीवधारी प्रकृति के अनिवार्य नियमों से बंधा हुआ है। लेखक गोपाल अग्रवाल विज्ञान व कानून के स्नातक हैं तथा पचास वर्षों से सामाजिक, राजनीतिक व मनोवैज्ञानिक तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करते रहे हैं। भारतीय राजनीति में घड़घड़ाते बादलों का मुकाबला शहर के चौराहे पर एक छाता खड़ा कर किया जा रहा है जबकि समस्या गली व सड़क पर बरसाती पानी के भराव तथा उस पानी के घरों व दुकानों में भर जाने की है। लेखक समाज के विकारों का निदान चीरफाड़ व सर्जरी के शोर से पृथक शास्त्र सम्मत शांत उपचार में देखता है। 

पहली कहानी बालिका से तरुण होती कन्या की है। बहुधा इन समस्याओं पर लड़कियां शर्म में अपनी माता को कुछ न बता, छिपे रूप में अपने पर घातक प्रयोग कर लेती हैं। कहानी में एक सामान्य परिवार में पीसी.ओ.सि. पर उठते तनाव का चित्रण है जिसके समाधान का बोध प्रत्येक परिवार को देखना चाहिए। दूसरी व तीसरी कहानी में समाज में होती साजिशों को किस तरह स्वीकार किया जा रहा है परंतु मन में विस्फोट है। चौथी कहानी एक सामाजिक कहानी है जिसमें परिवार के प्रत्येक सदस्य के आनन्द की अपनी परिभाषाएं हैं। उसी परिवार की कॉलेज जाने वाली कन्या ‘आनन्द की आदर्श परिभाषा’ बता देती है। 

आगे के राजनीतिक व सामाजिक समस्याओं से जुड़े लेखों में लेखक उस संकोच  से ग्रसित नहीं है जहॉ छोटी बातों या समस्याओं को ‘छोटी सोच’ का आदमी कह कर संबोधित किया जाता है। लेखक यहाँ रोजमर्रा के समस्याओं के मूल कारणों को सामने लाकर विकारों का उपचार जड़ पर ले जाकर कर रहा है। 

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गोपाल अग्रवाल

गोपाल अग्रवाल का जन्म आगरा में 21 जून 1951 को हुआ। आगरा कॉलेज, आगरा से साइंस तथा कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद स्थानीय कोर्ट में वकालत आरंभ की। देश के अग्रणी  स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता,अर्थशास्त्री तथा सामाजिक चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति में भाग लेना आरंभ कर दिया था। 1971 में पहला लेख अमर उजाला में छपा। 1974 में जॉर्ज फर्नांडीज द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'प्रतिपक्ष' के लिए कार्य किया,बाद में हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, भास्कर और कुछ  पत्रिकाओं में लेख छपे। इनके साथ ई-पत्रिकाओं में भी लेखों का प्रकाशन होता रहा है।
बेहतर समाज किस प्रकार का हो तथा सामाजिक समस्याओं के अनछुए विषयों को समाधान के साथ रखने की  प्रवृत्ति लेखन में रहती है। पीकाॅस पहली पुस्तक है।
वर्तमान में मेरठ में रहकर नन्हे-मुन्ने बालक-बालिकाओं की पढ़ाई के आसान तरीके, विधि,सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर यूट्यूब चैनल के माध्यम से विचार प्रस्तुतीकरण निरंतर चल रहा है। यूट्यूब पर टाइटल 
Gopal Agarwal learning 
e -mail: agarwal.mrt@gmail.com

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