Share this book with your friends

Phir Laut Aaya / फ़िर लौट आया

Author Name: Krishna Kunal Jha | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

कितनी आश्चर्य की बात है, नहीं ! एक रचनाकार कई महीनों या कई वर्ष लगाकर एक पूरी किताब तैयार करता है इसबीच वो कई तरह के अनुभवों से गुज़रता है सहता है लिखता है फ़िर पढ़ता है और पढ़कर फ़िर से परिस्थिति को महसूस करता है । इनसब प्रक्रिया के बीच एक रचनाकार काफ़ी आनंद भी लेता है । पर जब बारी उस किताब का दो-शब्द या भूमिका लिखने कि आती है तो उसे समझ नहीं आता रहता है कि ऐसा क्या लिखूँ जिसमें पुस्तक का निचोर आ जाये । 

हालाँकि, ये संभव नहीं है ख़ासकर एक कवि के लिए क्योंकी कविता प्रत्येक शब्द के साथ व्यक्ति और उस व्यक्ति के परिस्थति के अनुसार ठीक ऐसे ही अपना अर्थ बदलता रहता है जैसे बारिश की बूँदें बरसती तो एक जैसी ही है पर जमीं पर आते ही उस बूँद का उपयोगिता बदल जाता है । 

तो, बिना किसी साहित्यिक भाषणों के आपलोगों एक ऐसे प्रेम के पथ पर ले चलते है जहाँ व्याकरण और वर्णित अशुद्धि रूपी कई कंकर-पत्थर और और न जाने कितने काँटे से होकर गुज़रना परेगा हालाँकि, प्रेम और परेशानी एक-दूसरे का पर्यावाची ही है और वैसे भी ये प्रेम कभी नियम माना कहाँ है !

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

कृष्ण कुणाल झा

जैसे किसी शरीर का शाख़ आत्मा से रहती है ठीक ऐसे किसी भी रचनाकार के लिये उनकी रचना ही उनका आत्मा होता है, दूसरे शब्दों में कहूँ तो एक रचनाकार के लिए उसकी रचना ही संपूर्ण परिचय होता है । बाद बाँक़ी जानकारी एक सतही होता है जिससे किसी रचनाकार को जानना ऐसा है, जैसे साग़र को ऊपर से देख अंदर का बबंडर भाँपना ।

Read More...

Achievements

+1 more
View All