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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रेम चाहे सांसारिक हो, प्राकृतिक हो या आध्यात्मिक, व्यावहारिक शैली से किया जाये या भक्ति से, उसकी ताक़त में ही हर कार्य की मार्मिकता है।
उसी प्रेम को मन में धारण करते हुए अपनी अपरिपक्व कल्पना, सरल बुद्धि और हिन्दी भाषा के लिए अत्यंत प्रेम के सौजन्य से अपनी प्रथम कृति “राहगीर” आपके समक्ष रख रही हूँ। इस सीमित जीवन काल में मैंने प्रेम को जिस किसी भी रूप में महसूस किया है या उसकी उत्कट इच्छा है वो हर भाव मैंने कविता के माध्यम से साझा करने का प्रयत्न किया है। अगर कोई भी भाव आपके मन को अपना लगे तो मेरा यह प्रथम प्रयास सफल हो जाएगा।
राहगीर : एक पुस्तक प्रेम के नाम।
डॉ. श्रुति शर्मा
डॉ श्रुति शर्मा ने हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में एक माध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लिया और हिन्दी साहित्य प्रेमी माहोल में पली बढ़ीं। उनके माता पिता दोनों हिन्दी भाषा के अध्यापक और प्रशंसक हैं, उन्हें भी कम आयु से ही साहित्य के क्षेत्र में बेहद रुचि थी। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई कर डॉक्टर की डिग्री हासिल की परंतु साहित्य और भाषा प्रेम का हाथ कभी नहीं छोड़ा, उनकी रचनाएँ अन्य किताबों में भी यदा कदा प्रकाशित हुई हैं। वह स्वभाव से दार्शनिक, दृढ़ और दैन्य हैं, यही विशेषताएँ उन्हें एक लेखक और कवियत्री के रूप में सहायक हैं। वह हिन्दी भाषा के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा प्रभावित श्री दुष्यंत कुमार जी, श्री रामधारी सिंह दिनकर जी, श्री हरिवंश राय बच्चन जी, श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर और अपने पिता डॉ मदन शर्मा जी से हुई और इनकी रचनाओं में उनके विचार सहसा छलकते हैं।
वह अपने ख़ाली समय का प्रयोग अलग अलग भाषाओं के काव्य पढ़ने में करती हैं एवं जीवन में हिन्दी भाषा को और समझने और अपने लेखन को तराशने में समर्पित करना चाहती हैं।
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