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Rangbheene Moti / रंगभीनें मोती अतीत की गहराईं से

Author Name: Dr. Vijay | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

इंसान सीखना चाहे या न सीखें, इतिहास ने हमेशा ये दर्शाया है केवल तलवारोसें जंग नहीं जीती गयी, संपत्ति से पुण्य नहीं ख़रीदा गया, काल चक्र पर किसी का जोर नहीं चलता, उदारता ने कभी हिंसा, नफरत या दुश्मनी का दामन नहीं पकड़ा , मानव और प्रकृति का रिश्ता अटूट ही रहा, गुरु की महानता  और पराक्रमी पुरुषोंकी, पशु -सैनिको की वफादारी, त्याग-वीरता  का आकलन कोई नहीं कर सका।  

ये वो रंग-भीनी मिटटी है जिसनें भगवान् को भी मजबूर किया अवतार लेने पर, जिन्हें मनुष्य रूप में इन सभी जीवन चक्र से गुजरना पड़ा और इतिहास का हिस्सा बनाना पड़ा।  

ऐसे स्वर्णिम इतिहास को शतशः नमन

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डॉ. विजय

·     कवी-परिचय

•         पी. एचडी. पोस्ट-डॉक्टरेट (इम्पीरियल कॉलेज, लंदन). शोध क्षेत्र-इम्यूनोडाइग्नोस्टिक्स फॉर ट्यूबरक्लोसिस. 

•         रिसर्चअनुभव => 17 वर्ष,  रिसर्च पब्लिकेशंस = > २५

•         'राष्ट्रभाषा-पंडित', महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा महासभा, पुणे 

•         भारतीय हिंदी परिषद्, प्रयाग: आजीवन सदस्यता

•         साहित्यिक योगदान (कवितायें + लेख) : 42 (27 +15)  

•         प्रकाशित पुस्तक: संवेदनाओंको दस्तक, रंगभीनें  मोती, प्रेम: निशब्द झरना 

•         प्रकाशित कविता  'करे समाजका नव-निर्माण'- पुस्तक: 'संकल्प' 

•         कविता ‘गजगामिनी की मौत’ (एक हाथीनि की मौत): फैकल्टी ऑफ़ आईटी एंड कंप्यूटरसाइंस, पारुल 

            यूनिवर्सिटी ,वड़ोदरा गुजरात द्वारा आयोजित 'इंटरनेशनल लेवल-पोएट्री कम्पटीशन’ फर्स्ट रैंक–काव्योत्सव 

            २०२०-२1.   

•         कविता 'धीमी जिंदगी- रफ़्तार पकड़ ' अप्प्रेसिअशन सर्टिफिकेट:  सुपर ७ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय काव्य 

            प्रतियोगिता.

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