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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal'रूह' - अनंत ज्योति यह एक काव्य संग्रह है। जिसे आज की आधुनिक पीढ़ी की कवित्रि दिक्षा बावा जी की कलम से कुछ अमूल्य कविताओं से सजाया गया है। इस किताब के नाम में ही इसका अर्थ छुपा है। दिक्षा बावा जी ने अपनी रूह यानि अंतरात्मा की भावनाओं को व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में ना सिर्फ उनके अपने विचार झलकते हैं बल्कि पढ़ने वाले भी इन कविताओं से खुद को जोड़ के देख सकते हैं। उनकी कविताएँ श्रृंगार रस और भक्ति रस से प्रभावित हैं। आज के दौर में जब इंसान अपने व्यस्त जीवन में खो के रह जाता है, तब ये कविताएँ इंसान को खुद से मिलने की, खुद को बेहतर जानने का अवसर प्रदान करती हैं।
दिक्षा बावा
दिक्षा बावा
24 साल की उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की रहने वाली है। इन्होंने जन संचार और पत्रकारिता में स्नातक और बी एड की पढ़ाई खत्म करी है।अभी एक शिक्षक के तौर पर सज है। दिक्षा बावा एक बहुत ही अच्छी कवित्री और लेखिका भी है, और 2 वर्षों से अधिक समय से वो लिखती आ रही हैं ।इन्होंने अपने विचार बहुत सी कविता, लेख, खुले पत्र, शायरी और कई अन्य विधाओं के माध्यम से व्यक्त किए है।
इनका मानना है कि ये भावनाओं का एक पूर्ण संयोजन है,जो लचीले विचारों के साथ साथ एक उभयवर्ती और आशावादी व्यक्तित्व का चित्रण रखती है।
उनके लिए ये शब्द ,कलम और पुस्तक ही है जो एक दोस्त के रूप में उन्हें इस दुनियां से बचाती है, उनका ये भी मानना है कि उनके शब्दों ने उनके रहस्य की बनाए रखा है और उनके व्यक्तित्व को सर्वश्रेष्ठ तरीके से चित्रित किया है।
अगर आप इनको और भी करीब से जानना और उन्हें पढ़ना चाहते है, आप उन्हें इंस्टाग्राम पे फॉलो कर सकते है।
I.G - tacit_aphorism
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