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Sanatan Dharma evam Ramcharitmanas / सनातन धर्म एवं रामचरित मानस

Author Name: Dr. Smita Tripathi | Format: Paperback | Genre : Young Adult Nonfiction | Other Details

हमेशा से धर्म को एक विवादित मुद्दे के रूप में सुनती आई हूँ l एक अन्य रूप में भी धर्म  को देखा,  पूजा -पाठ, जप -तप आदि, पर मेरा मन कभी पूर्ण संतुष्ट नहीं हुआ लगा कुछ तो है? जो इन सबसे अलग है जिसे ही शायद खोजा जाये तो धर्म के सत्य को जाना जा सकता है l बचपन की यही जिज्ञासा इस हद तक बढ़ी कि सनातन से जिसे धर्म कहा गया उसकी खोज में डूबती चली गई, और जब खोज पूरी हुई तो उसे अपने तक कैसे रख सकती थी, इसलिए धर्म की वास्तविकता को पुस्तक के रूप में आपके समक्ष लाना ही पड़ा l आचार्य शुक्र ने राम को धर्म का विग्रह क्यों कहा इसको भी प्रमाणित करने का प्रयास किया है, आशा है पाठकों को पुस्तक अवश्य पसंद आएगी और वास्तविक धर्म क्या है, ये भी ज्ञात हो जायेगा l हालांकि मैंने कोई नई बात नहीं कही, वही कहा और लिखा जो सत्य है और शास्त्र -सम्मत है l

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डॉo स्मिता त्रिपाठी

डॉo स्मिता त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में 26अगस्त 1972 को एक साधारण परिवार में हुआ था l इनके पिता का नाम श्री श्रवण कुमार द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती पुष्पा देवी है l पिता मध्यप्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुएl माता जी एक कुशल गृहणी हैं l लेखिका के बचपन से ही घर का माहौल धार्मिक और आध्यात्मिक था, इसलिए उनकी रुचि  बचपन से ही इस ओर थी l प्राथमिक शिक्षा मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम बूदौर में हुई l इंटरमीडिएट  की शिक्षा महोबा के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय से एवं स्नातक की पढ़ाई वीरभूमि महाविद्यालय महोबा से सन 1990 में  पूर्ण की lउनका विवाह 12 दिसम्बर 1990 को अतर्रा के निवासी, श्री राकेश त्रिपाठी, जो ग्रामीण बैंक में  मैनेजर हैं, से संम्पन हुआ l विवाह के पश्चात उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और  स्नात्तकोत्तर एवं पीएच. डी. की डिग्री उन्होंने अतर्रा महाविद्यालय अतर्रा जो बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध है, से प्राप्त की धार्मिक एवं  आध्यात्मिक अभिरुचि बचपन से ही होने के कारण उन्होंने अपने शोध का विषय भी ऐसा चुना जो सत्य के दर्शन में सहायक बन सके l उनके जीवन का दर्शन है,  ज़रूरतमंदों की हर सम्भव सहायता करते हुए एक साधारण जीवन जीना एवं अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहना l 2008-2009 से लेखिका अतर्रा महाविद्यालय अतर्रा में हिंदी विषय की अंशकालिक प्रवक्ता के पद पर कार्य कर रही हैं l

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