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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजिंदगी और प्रकृति के मुलभुत सिद्धांतो, तथ्यों, मूल्यों, संस्कारो, भूत-वर्तमान घटनाक्रम, बदलती परिस्थिति, कुछ सच्ची घटनायेँ और इन सबसे प्रभावित बदलता मानवीय स्वार्थी व्यव्हार, चंचल मन की संवेदना, व्यथा इन सभी बातोकों ध्यान में रखकर जीवन के अलग-अलग पहलू [रुख (बर्ताव-व्यवहार)], अलग रूप, अलग अंग, अलग रंग, अलग भाव, अलग-अलग मानवी मन की संवेदनायें इन आठ कविताओँ में गुँथी गयीं हैं, जो आठ बार दस्तक देगी मानवी संवेदनाओंको और उनको जागनें-सोचने-समझनें के लियें मजबूर करेगी ।
डॉ. विजय
कवी-परिचय:
पी. एचडी. पोस्ट-डॉक्टरेट (इम्पीरियलकॉलेज, लंदन). शोध क्षेत्र - इम्यूनोडियगनोस्टिक्स फॉर ट्यूबरक्लोसिस.
रिसर्च पब्लिकेशंस = 24, रिसर्च अनुभव =17 वर्ष
'राष्ट्रभाषा - पंडित' , महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा महासभा पुणे (महाराष्ट्र) - वर्ष १९९९
भारतीय हिंदी परिषद्, प्रयाग : आजीवन सदस्यता
साहित्यिक योगदान (कवितायें + लेख) : 42 (27 +15) - https://hindi.pratilipi.com/user/डॉ-विजय-09x781mz2g
प्रकाशित कविता 'करे समाज का नवनिर्माण''- बुक ''संकल्प''
कविता गजगामिनी की मौत (एक हाथीनि की मौत) - फर्स्ट रैंक -काव्योत्सव २०२०-२। फैकल्टी ऑफ़ आईटी एंड कंप्यूटर साइंस, पारुल यूनिवर्सिटी ,वड़ोदरा गुजरात द्वारा आयोजित 'इंटरनेशनल लेवल-पोएट्री कम्पटीशन’.
कविता 'धीमी जिंदगी- रफ़्तार पकड़ ' अप्प्रेसिअशन सर्टिफिकेट : सुपर-७ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय काव्य प्रतियोगिता
संपर्क:
डॉ. विजय जगदीशचंद्र उपाध्ये
डेप्युटी डायरेक्टर, सेंटर ऑफ़ रिसर्च फॉर डेवलपमेंट
एसोसिएट प्रोफेसर, पारुल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज
पारुल यूनिवर्सिटी,वड़ोदरा, गुजरात
सेल: 6355285047, 9768583096
ई-मेल:vijayu_micro@rediffmail.com, dr.vijaysemilo@gmail.com
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