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Satya Ka Jhonka / सत्य का झोंका Laghu katha sangrah

Author Name: Pranesh Kumar | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

 इस संग्रह की लघुकथाएं  सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई हैं और समाज में फैली विसंगतियों की ओर इशारा करती हैं। इन लघुकथाओं के माध्यम से राजनीति से लेकर टूटते व्यक्तिगत संबंधों और घोर भौतिकवादी  के कारण उपजे अवसरवाद को व्यक्त करने की कोशिश की गई है। लघुकथाएं अपनी लघुता में व्यापकता धारण करती हैं । पेड़ , जंगल, पहाड़ जैसे प्राकृतिक बिंबों के माध्यम से भी लघुकथाओं को रचने का प्रयास किया गया है। इनके अलावा समाज की विद्रूपताओं को भी रेखांकित किया गया है संग्रह की लघुकथाओं में।

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प्राणेश कुमार

इस संग्रह के रचनाकार प्राणेश कुमार का जन्म गोला, रामगढ़, झारखंड में 1955 को हुआ। प्रारंभ से ही ये लेखन और संपादन से जुड़े रहे। इनका पहला कविता संग्रह 1988 में प्रकाशित हुआ।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के संपादक से जुड़ने के बाद उन्होंने दस वर्षों से भी अधिक समय तक प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी' का संपादन किया।इनकी लिखी विभिन्न विधाओं की दस से अधिक पुस्तकों का अबतक प्रकाशन हो चुका है और ग्यारह पुस्तकों का इन्होंने संपादन भी किया है। देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं लगातार प्रकाशित होती रहती हैं । उनकी रचनाओं का विभिन्न  भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त प्राणेश कुमार विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे हैं और संप्रति अपने पैतृक निवास गोला में रहकर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।

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