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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘षड्गंधा’ संग्रह में समेटी गई कविताएँ भिन्न-भिन्न अवसरों पर, भाँति-भाँति की मन:स्थिति में और नाना प्रकार की भावनाओं की स्याही को कलम में भरकर पन्नों पर उतारी गई हैं। कभी यह कलम वेदना की ऊष्मा से संचालित हुई है तो कभी हर्षातिरेक की ऊर्जा से संचारित। विषयों की विविधता को ध्यान में लाते हुए इनका वर्गीकरण मैंने छ: खंडों में किया है।
प्रथम सर्ग ‘मौलश्री की गंध’ भक्ति रस की कविताओं की श्रद्धा-पल्लवित बगिया है तो द्वितीय सर्ग ‘सर्वज्जय की गंध’ स्वदेश और प्रवासी मन की सुरभि से प्लावित है। तृतीय सर्ग ‘अमलतास की गंध’ भारतीय संस्कृति, परंपराओं और त्योहारों से आच्छादित है तो चतुर्थ सर्ग ‘कचनार की गंध’ नारी मन के भाव-स्वभाव का सौरभ बिखेरे हुए है। पंचम सर्ग ‘रत्नज्योति की गंध’ स्वाभिमान और स्मृतियों से सुवासित है तो षष्ठम सर्ग ‘बनफशा की गंध’ प्रकृति की सुरम्यता की खुशबू से सराबोर है। अंत में षड़्गंध वाटिका खंड में ॐ आकृति विधा में रचित छ: कविताओं का समावेश किया गया है जो पूर्व के छ: सर्गों में समाहित भिन्न-भिन्न भावों को दर्शाती हैं।
डॉ. आरती 'लोकेश'
डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने अंग्रेज़ी साहित्य मास्टर्स में कॉलेज में द्वितीय स्थान तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि ली। तीन दशकों से शिक्षाविद डॉ. आरती ‘लोकेश’ शारजाह में वरिष्ठ प्रशासनिक अध्यक्ष हैं और साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं।
बीस वर्षों से दुबई में बसी डॉ. आरती ‘लोकेश’ द्वारा रचित 14 पुस्तकें प्रकाशित हैं। तीन उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’, ‘निर्जल सरसिज’; तीन काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’ ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’; दो कहानी संग्रह ‘साँच की आँच’ व ‘कुहासे के तुहिन’, कथेतर गद्य-संग्रह ‘कथ्य अकथ्य’, यात्रा-संस्मरण ‘झरोखे’; शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय का गद्य साहित्य और सामाजिक चेतना’; तीन संपादित: ‘सोच इमाराती चश्मे से’, ‘होनहार बिरवान’, ‘डॉ. अशोक कुमार मंगलेश : काव्य एवं साहित्य चिंतन’। इनके साहित्य पर पंजाब व हरियाणा के विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया जा रहा है।
'अनन्य यू.ए.ई.' पत्रिका की मुख्य संपादक होने के साथ-साथ वे ‘श्री रामचरित भवन ह्यूस्टन’ की सह-संपादिका तथा ‘इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्न्स’ की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संपादक हैं। प्रणाम पर्यटन पत्रिका की विशेष संवाददाता यूएई हैं। टैगोर विश्वविद्यालय ‘विश्वरंग महोत्सव’ की यू.ए.ई. निदेशिका, ‘विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस’ की यू.ए.ई हिंदी दिवस 2021 समन्वयक हैं।
उनकी रचनाएँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ‘शोध दिशा’, ‘इंद्रप्रस्थ भारती, ‘गर्भनाल’, ‘वीणा’, ‘परिकथा’, ‘दोआबा’, ‘समकालीन त्रिवेणी’, ‘साहित्य गुंजन’, ‘संगिनी’, ‘सृजन महोत्सव’, ‘साहित्य त्रिवेणी’, ‘अक्षरा’, ‘नवचेतना’, ‘बाल किरण’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘अनुभूति, ‘सौरभ’, ‘मुक्तांचल’, ‘विश्वरंग’, ‘21 युवामन की कहानियाँ’, ‘कथारंग’, ‘विवशता’, ‘रिश्ता’ तथा ‘सोच’ में प्रकाशित हुई हैं। आलेख: ‘खाड़ी तट पर खड़ी हिंदी’ ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ तथा सांस्कृतिक आलेख ‘वीणा’ में जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। यात्रा संस्मरण- ‘प्रणाम पर्यटन’ नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुए। शोध-पत्र, लेख, लघुकथाएँ एवम् कविताएँ आदि विभिन्न साझा-संग्रहों
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