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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारी जिंदगी में सबसे अहम किरदार हमारे अपने अदा करते हैं। क्योंकि जो हमारे अपने होते हैं या जो इंसान हमारे दिल के बहुत करीब होता है उससे जुड़ी हर बात हमारे लिए बहुत अज़ीज़ होती है भले ही वो अच्छी हो या बुरी। पर जब उन्हीं अपनों से हमें धोखा और फ़रेब एक जैसी चीजें मिलती हैं, जब अपनों से अपनेपन का दगा सिला मिलता है और जब हमारे रिश्ते ही हमारा गला घोटने लगते हैं तो बहुत अज़ियत होती है। और उस वक्त जो हम महसूस कर रहे होते हैं, जिस तकलीफ़ से गुज़र रहे होते हैं उसे शब्दों में लिखना मुमकिन नहीं है लेकिन फिर भी उन तकलीफ़ों को, उस एहसास को और उस दर्द को मैंने कोरे पन्नों पर पंक्तियों के रूप में लिखने की एक छोटी सी कोशिश की है।
मेरी कविताओं में जीवन के उन पलों को छूने का प्रयास किया गया है जो मानव जीवन को झकझोर देते हैं। इस लघु काव्य पुस्तिका(शाम और तन्हाई )में अपनी कविताओं को समाज के आईने के रूप में रखने की कोशिश की हूं और आप सबों के बीच प्रस्तुत कर रही हूं और मुझे उम्मीद है कि आप सबको मेरी कविताएं पसंद आएंगी और मेरी पंक्तियां आप सबों के ह्रदय तक जरूर पहुंचेगी।
युसरा फात्मा (रूशी)
युसरा फातमा बिहार राज्य के सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के एक गांव तेतहली से हैं। इनके परिवार में इनके पिता शकील अहमद, माँ अर्शिया फ़ातमा एवं बहन सुमैया फ़ातमा हैं। ये केवल दो बहनें ही हैं जिसमे ये छोटी हैं। ये बिहार के गोपालगंज ज़िले के बिशंभरापुर में स्थित आर. एम पब्लिक स्कूल के कक्षा 10वी की छात्रा हैं। युसरा को बचपन ही से कविताएँ एवं कलाकृतियों का शौक रहा है, युसरा का एक साधारण लड़की से कवयित्री बनने के सपने का सफ़र कक्षा 2 से ही शुरू हो गया था, इन्होंने अपनी पहली कविता अपने विद्यालय में परीक्षा के समय बनाई है। इन्हे बचपन से ही अपनी माँ से अत्यधिक लगाव है और इनकी पहली कविता भी माँ पर ही है। इनके हर काम और निर्णय में इनके परिवार का पूरा साथ मिला है इनके परिवार ने इन्हे हमेशा सराहा है, खासतौर से उनकी माँ उन्होंने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और अपने मंजिल को पाने के लिए हिम्मत दी। उनके पुरे परिवार नें हर कठिन परिस्थितियों में उनका साथ निभाया है। परिवार का प्यार ,स्नेह और उनका साथ उन्हें कठिनाइयों से निकलने का रास्ता दिखाता आया है।
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