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The Maya of the soil and its spirituality / माँटी की माया और उसका अध्यात्म

Author Name: Engineer D. K. Prabhakar | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

जन्म हुआ तब क्या लाया था,और क्या तू लेकर जायेगा।

इस माँटी से ही पैदा होकर, और माँटी में मिल जायेगा॥

पल पल जीव सोचता ऐसे, अब सुख साधन घर लाएगा।

पर जो सुख माँटी में मिलता है, उसे कहाँ वह पाएगा॥

धन्य धरा जो जीवन देती, उसमें ही विलीन हो जाएगा।

कहें प्रभाकर, कैसे और कब उसका कर्ज चुकाएगा।

           उपरिक्त पंक्तियाँ पूरे जीवन का सार प्रकट कर देतीं हैं। जब भी जीव, धारा रूपी माँ की गोद में अवतरित होता है तो सर्व प्रथम उसका परिचय इसी धरा रूपी माँ से होता है। माँ के गर्भ से जब जीव बाहर आता है तो अत्यंत ही छोटे रूप में आता है और धरती का स्पर्श पाकर वायु पान करके तुरंत उसका आकार बड़ जाता है। उसके बाद ही जब उसकी आंखे खुलतीं हैं तो वह माया रूपी संसार से परिचित हो पाता है। 

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इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

·         एक गरीब मजदूर ( राजगीर) परिवार में जन्म के बाद उच्च शिक्षा लेकर निम्न महत्वपूर्ण कार्य, समाज सेवा व सहित्य सृजन किए

·         भारत सरकार के कलकत्ता स्थित प्रथम भूमोगत मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के मैदान स्टेशन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका तत्पश्चात दुर्गापुर (प॰ब॰) थर्मल पावर स्टेशन व ललितुर (उ॰प्र॰) बांध परियोजना का निर्माण

·         विशाखापटनम स्टील प्लांट निर्माण के बाद

·         1984 से भारतीय अंतरिक्ष विभाग के PSLV प्रोजेक्ट त्रिवेनद्रुम व लखनऊ (उ॰प्र॰) के ईटीवी स्टुडेओ, इस्ट्रेक ग्राउंड स्टेशन तथा रेमोट सेन्सिंग एप्लिकेशन सेंटर का निर्माण

·         कटक (उढ़ीसा) स्थित नेताजी सुभास चंद बॉस जन्म स्थान का पुनुरुद्धन व म्यूजियम बनाने का सम्पूर्ण कार्या।

·         प्रभाकर उद्योग प्रा॰ लिमि॰के चेयरमेन व प्रबंध निदेशक रहते अनेक निर्माण

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