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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकविता आत्मा की आवाज़ है। यह हमारे भीतर की उन भावनाओं और अनुभवों का प्रतिबिंब है, जिन्हें हम अक्सर शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते। "तुझे बनाऊँ मैं" काव्यसंग्रह मेरे मन और हृदय की गहराइयों से निकले उन विचारों का संकलन है, जो जीवन के विभिन्न रंगों से सजे हुए हैं। प्रेम के नर्म एहसास से लेकर साइक्लिंग के रोमांच तक, सामाजिक घटनाओं से लेकर आध्यात्मिक गहराइयों तक, यह पुस्तक एक संपूर्ण काव्य यात्रा है।
इस काव्यसंग्रह को लिखते समय, मैंने हर उस भावना को पकड़ने का प्रयास किया है जो हमें जीवन से जोड़ती है और हमें अपने भीतर की शक्ति का एहसास कराती है।
इस संग्रह की हर कविता एक दर्पण है, जिसमें आप जीवन के विभिन्न आयामों की अनगिनत झलकियाँ देख सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि मेरी ये कविताएँ आपको भी आपके भीतर के संसार से जोड़ने में सफल होंगी।
डॉ मुकेश अग्रवाल
डॉ. मुकेश अग्रवाल (14 सितम्बर 1974)
जन्म स्थान : घरौंडा (करनाल)
शिक्षा : बी.ए.एम.एस., एम.ए. (एम.सी.),
एल.एल.बी., एल.एल.एम., एम.डी. (ए.एम.),
डी.फार्मा, एन.डी.डी.वाई., पी.जी.डी.एच.आर.एम.
प्रबंध निदेशक : वी.एच.सी.ए. हेयर क्लिनिक
राष्ट्रीय अध्यक्ष : आयुर्वेद जागृति मिशन
प्रकाशित काव्य-संग्रह: सिर्फ एक मानव हूँ मैं, वक़्त के दरमियाँ, भोर की ओर, कस्तूरी कुण्डल बसे, दुनिया गोल है बाबू , संस्कृति के झरोखे से, हर घर तिरंगा, सुनाओ फिर से गीता, ज़िंदगी आ रहा हूँ मैं, मीलों तुझको चलना है, तुझे बनाऊँ मैं
पुरस्कार: आयुर्वेद एवं योग में राष्ट्रीय पुरस्कार
समाज सेवा में राष्ट्रीय पुरस्कार
दैनिक जागरण द्वारा उत्तम नागरिक सम्मान
आयुर्वेदा कंसल्टैंट्स के लिये राजकीय पुरस्कार
पता: वी.एच.सी.ए. हेयर क्लिनिक, घरौंडा (करनाल)-132114
Email: mukeshaggarwal974@gmail.com
Website: www.mukeshaggarwal.com
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