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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"इश्क़" ये नाम सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते है। इस जहां मैं यक़ीनन हर किसी ने कभी न कभी किसी न किसी से तो इश्क़ किया ही होगा। ये नज़्में उन सब को सलाम हैं जिन्होंने इश्क़ करने की हिम्मत की। जैसा कि आप जानते ही है, कि हिम्मत वो चीज़ है जो कि अगर न हो तो बिलकुल न हो और अगर हो तो फिर अफ़रात पैमाने में होती है। ये किताब एक इंसान का सफर है जिसमें उसने मिलो का सफर तय किया है इश्क़ और उल्फत को संभालते संभालते।
www.noellorenz.com
ज़ल ज़ला
जहां में तेरे आस पास जब अँधेरा है।
"ज़लज़ला" है जो ले आता सवेरा है।
ज़लज़ला एक उभरता उर्दू शायर है जो मुंबई के रिहाइशी है और कारोबारी मजबूरिओं के मद्दे नज़र जुनूब-ए-अफ्रीका में अपना ज़्यादातर वक़्त बिताते हैं। उर्दू शायरी का शौक उन्हें अपने कॉलेज के दिनों से ही था और हाल ही में, लगभग २० साल बाद उन्होंने उर्दू शायरी और नज़्म के मुतास्सिर कुछ पांच जितनी किताबें अशात किये है। ज़लज़ला अपनी ज़िंदगी के तफ्सीलात अक्सर जुमले या तो शायरी में देना पसंद करते हैं। उनका एक शेर है जो उनके बारे में आप सबको बताएगा।
एक बहते हवा का झोंका है ज़लज़ला।
ज़िंदगी है एक मगर
दूसरा एक मौक़ा है ज़लज़ला।
@zalzala_kalyan.
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