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Ummiden / उम्मीदें

Author Name: Praveen Bahl | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

जब बहुत आशाएं आदमी से दूर है जाती है तो दोबारा उम्मीद बनी रहती है उसे पाने की है। बहुत बड़ी-बड़ी दर्द -गम -तमन्ना -आए -आज की आदमी के भीतर जन्म लेती हैं, तो वह एक उम्मीद भी बना के रखना है। इस उपन्यास को मैंने अपनी कॉलेज लाइफ के दौरान लिखा था तब मैं जवान था- मेरे अंदर कुछ हसरतें थी। सब कुछ कुछ अरमान थे सब कुछ मेरे अनुभव के ऊपर भी निर्भर करता था - आसपास के वातावरण - और एक सोच भी जन्म लेती थी -सचिन लाइफ थी कुछ अच्छे थे कुछ बुरे थे। उसी जीवन के आधार पर उम्मीद लगाई जाती थी, सोचा जाता था - क्या है - क्या करें, ऐसा जीवन जिया जाए तो भविष्य में क्या होगा।

क्योंकि उसे समय हम जवान थे हमारे ख्याल भी जवान थे तो हम उसे अनुभव को लेकर भी चलते थे- समय के साथ अनुभव बदल चुका है- आज कुछ हो - फिर भी यह एक फिल्मी स्टोरी सी लगती है - वह एक सांस्कृतिक लड़की थी -उसका फ्रेंड भी एक उच्च घराने से लड़का था - कॉलेज के बदमाशों ने उसके साथ जो हरकत कि दोनों की जिंदगी बदल गई।

आप उपन्यास पड़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि दोनों के पास कोई और रास्ता नहीं था -अरे आखिर में जब वह मिले तो लगा उनकी उम्मीदें जाग चुकी है और उनके जिंदगी में दीप जल चुके हैं। आप इसे पढ़िए अच्छा लगे तो हमसे संपर्क भी करें।

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प्रवीण बहल

पिता: डॉ. मदनलाल बहल
व्यवसाय: रिटायर्ड मैनेजर (इंडियन ओवरसीज बैंक )
कॉलेज लाइफ से ही इन्हें अच्छी रचनाएँ लिखने का शौक था । कॉलेज मैग्जीन में ही इनकी कविताएँ, लघुकथाएँ  पंजाबी और संस्कृत भाषा में प्रकाशित होती रहीं । 1980 में इन्होंने भारतीय विकलांग संघ कल्याण बनाकर विकलांगों की सेवा की और फिर हरियाणा विकलांग क्रिकेट एसोसिएशन के माध्यम से विकलांग खेलों को मान्यता दिलवाने की कोशिश की। भारतीय विकलांग कल्याण संस्थान ने इनकी कई पुस्तकों का प्रकाशन किया । जिनमें 'रिश्ता', ठुकराती राहें (उपन्यास) प्रकाशित हुईं, साथ ही इनकी रचनाएँ रेडियो पर भी प्रकाशित होती रहती हैं ।
प्रकाशित कृतियाँ : रिश्ता, ठुकराती राहें (उपन्यास), दिशा, खामोशी, कुछ पल कुवैत में (काव्य संकलन), आँसू बहते रहे, टूटे हुए सपने, जलते चिराग आदि । 
अन्य उपयोगी पुस्तकें : 1. नवीन फर्स्ट एड, 2. फर्स्ट एड, 3. सिविल डिफेंस, 4. दीया जलाए कौन है, 5. यह कैसे हुआ आदि ।
बाद में समय समय पर इनकी रचनाएँ एवं काव्य संकलन भी प्रकाशित होते रहे हैं । 
प्राप्त सम्मान : 1980 मैं इन्हें भारत के राष्ट्रपति महोदय ने नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया, हरियाणा सरकार से दो बार जिला स्तर पर एवं 6 बार बड़े-बड़े पुरस्कार मिले हैं।
इनके संघर्ष भरे जीवन पर 600 पेज की एक जीवनी भी लिखी गई है।

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