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Upanishadah / उपनिषदः पारायण

Author Name: Prakarsha Prakash | Format: Paperback | Genre : Reference & Study Guides | Other Details

उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)।यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। सद् धातु के तीन अर्थ हैं : विशरण-नाश होना; गति-पाना या जानना तथा अवसादन-शिथिल होना। उपनिषद् ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं, चाहे वो वेदान्त हो या सांख्य। उपनिषदों को स्वयं भी 'वेदान्त' कहा गया है। 



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प्रकर्ष प्रकाश

अनादि सनातन तथा कालातीत् उपनिषद् यद्यपि वेदशीर्ष या वेदसार है, तथापि वेद से पृथक नहीं है। अतः उपनिषद् वाङमय भी परमेश्वर का निःश्वासभूत है। जीव तो क्या परमेश्वर के भी प्रयत्न और बुद्धि का उपयोग उपनिषदों के निर्माण में नहीं हुआ है, अपितु अकृत्रिम, अपौरुषेय, निःश्वासवत्, सहजरूप में उपनिषदें प्रादुर्भूत हुयी हैं। जिनका साक्षात्कार वैदिक ऋषियों द्वारा मंत्र के रूप में किया गया है। इन उपनिषदों का विषय वेदान्त विज्ञान अथवा ज्ञानकाण्ड है।

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