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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजहां दो दिल मिलते है वहां किस्मत नहीं मिलती
अफसोस की सच्चे चाहत की कीमत नहीं मिलती।
ना कद्र मोहब्बत की दुनियावालो ने की है कभी
चाहकर भी क्यों मोहब्बत की जन्नत नहीं मिलती ।
.जुदाई में घुट घुट कर पीते है जाम अश्कों का सभी
चाहत पर मोहर लगा दे, रब की इनायत नहीं मिलती।
.सहन करनी पड़ती जगहसाई तो रुसवाई कभी
रूह मिल जाती पर ताउम्र की सोहबत नहीं मिलती ।
.ना ख्वाबों आसमां, ना ख्वाहिशों की जमीन मिलती
जो संभाली जाए वो मोहब्बत की विरासत नहीं मिलती।
.जहां दो दिल मिलते है वहां किस्मत नहीं मिलती
अफसोस की सच्चे चाहत की कीमत नहीं मिलती।
. जैसे प्रेम में संयोग अतिउच्चतम अवस्था है वैसे ही वियोग भी अपने प्रिय के वियोग में मन को होती पीड़ा को दर्शाती अवस्था है। वियोग प्रिय व्यक्ति से मिलन न होने की क्रिया या भाव, किसी से बिछुड़ने या दूर होने की अवस्था इसी भाव को काव्य रूप में इस किताब में लिखने का प्रयास किया है।अपने प्रिय के बिछोह से दिल तड़पता है। उसकी एक झलक पाने के लिए तरसता है। मन का सुकून, चैन सब छीन जाता है। जैसे प्रिय ही दुनिया बना हो...उसी से जिन्दगी की सारी खुशियां जुड़ी हो। प्रिय के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है दुनिया वीरान सी लगती है।इसी विरह की तड़प को मैंने प्रस्तुत पुस्तक में शब्दों में बांधने का प्रयास किया है आशा करती हूं आप सभी के दिल की छू जाए।
.यह अश्क है मेरे जो आज लफ्ज़ बने हैं
मेरे वियोगी मन के लिए नज़्म बने है ।
देख लेना मेरी हर आह पर वाह निकलेगी
जुदाई-ए-मोहब्बत की बज़्म बने है।
रश्मि कौलवार
श्रीमती रश्मि अंकुश कौलवार का जन्म महाराष्ट्र के परभणी जिले के छोटे से शहर गंगाखेड़ में हुआ। यह अपने माता पिता की प्रथम संतान हैं। पढ़ाई में सदैव अग्रसर रही हैं और प्रथम श्रेणी से वाणिज्य स्नातक किया। साथ ही साथ इन्हाने कुकिंग में डिप्लोमा तथा कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी लिया। पढ़ने लिखने के साथ अन्य कला गुणों व गतिविधियों में यह हमेशा आगे रहीं।
नामांकित चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री अंकुश कौलवार की सुविद्य पत्नी, एक लेखिका तथा कवयित्री होने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। संयुक्त परिवार में रहकर, सबके प्रति अपने कर्त्तव्यों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए इन्होंने अनेकों लेखन और कला प्रतिस्पर्धाओं में न केवल भाग लिया अपितु विजयी भी रहीं।
इनकी प्रकाशित पुस्तकों में "रश्मि की काव्यांजलि", "हृदय स्पर्शी", "आस्था की दिव्य ज्योति", "आगाज़ नए सफ़र का" यह पांच एकल हिंदी काव्य संकलन तथा "शब्द रश्मी" भाग 1 और भाग 2 " ये मराठी काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर इनके द्वारा लिखी गई रचनाएं अनेक मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।
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सौ. रश्मि अंकुश कौलवार
माता : सौ रेखा नळदकर
पिता : श्री राजेश्वर नळदकर
पति : श्री अंकुश कौलवार (चार्टर्ड अकाउंटेंट)
शिक्षा : वाणिज्य स्नातक, MS-CIT, C C++, Tally ,
Cooking Diploma.
नाम और पता:-सौ.रश्मि अंकुश कौलवार
यशवंत, घनश्याम सोसायटी, भक्तिमार्ग,
पंढरपुर-413304
जिला:-शोलापुर(महाराष्ट्र)
प्रकाशित काव्यसंग्रह :-
1)रश्मि की काव्यांजलि
2)हृदय स्पर्शी
3)आस्था की दिव्य ज्योति
4)शब्द रश्मी भाग 1 और 2(मराठी काव्य संग्रह)
5)मन से मन तक
6) आगाज़ नए सफ़र का
काव्यसंकलन:-
इंतजार, ब्रोकन हार्ट, उड़ान काव्य संकलन में सहभागिता तथा अनेक मासिक पत्रिकाओं में काव्य सहभागिता
संप्रति : कवयित्री, लेखिका
लेखन क्षेत्र में उपलब्धियाँ
ईमेल:-rashmikaulwar@gmail.com
गतिविधियां:-1)कई मंचो की प्रतियोगिताओं में सम्मिलित हुवी हूँ।
2)कई ऑनलाइन ऑफलाइन कविसम्मेलन में सहभागिता।
3)इंतजार, Heart broken, कई काव्य संकलन में सहभागीता
4) मराठी कविता ग्रुप में काव्यलेखन को मार्गर्शक तथा परीक्षक।
सम्मान:-1)500 से ज्यादा Your Quote प्रतियोगिताओं में विजेती और सम्मान पत्र प्राप्त।
2)100 से ज्यादा whats app प्रतियोगिता में विजेती और सम्मान पत्र प्राप्त।
3)अनेक राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओ में विजेती और सम्मान पत्र प्राप्त।
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