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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअपनी स्मृतियों में वो एक-दूसरे को मुस्कुराता हुआ देखना चाहते थे अन्यथा उस मुस्कुराहट के पीछे क्या कुछ बिखर गया था, ये उनका हृदय ही जानता था। उसे ऐसा लगा जैसे उसके ख्वाब जो इतने सालों से वो बुनती आयी है वो साहिल पर पड़ी रेत का कोई महल था जो वास्तविकता के झोंके के साथ ही ढह गया। प्रेम में मात खाई दीक्षा ने न ही पार्थ की तरह अपने मन की व्यथा को किसी से गाया और न ही उससे रुष्ट हुई। उसने बस सच्चाई को अपना लिया और अपनी जिंदा लाश पर सहनशीलता एवं शांति का कफ़न ओढ़ कर खुद को दर्शन बाबू के हाथों में अर्पित कर दिया।
दोनों खड़े रहते हैं वैसे ही मूर्ति बने हुए। न उन्हें भूत याद है, न वो वर्तमान में हैं, न ही भविष्य उन्हें डरा रहा है। इस एक क्षण में उनके लिए जो है यही है। इस दशा को महसूस करने के लिए प्रेम के उस छोर तक जाना होता है जहाँ जाकर ‘मैं’ का सिद्धांत समाप्त हो जाता है। वहाँ सिर्फ ‘हम’ होता है। और इसी ‘हम’ पर दुनिया टिकी है, इस दुनिया में प्रेम टिका है, मैं टिका हूँ, हम सब टिके हैं। इस ‘हम’ को वासना कभी छू भी नहीं सकती, इसके लिए प्रेम के चरम पर होना अत्यावश्यक है।
प्रेम का अर्थ आतुरता नहीं इंतज़ार है। कुछ दिन, कई शामें, अनेकों रातें बड़ी मनहूस होती हैं, आज का दिन, शाम और रात भी ऐसे ही थे। वो खो देना चाहता था खुद को ताकि दीक्षा याद न आए पर जो कण-कण में बसा है उससे कब तक भागा जाएगा?
कई बार कुछ बहुत भयवाह घटित हो रहा होता है। हम फँसे हुए होते हैं पर तभी हमारी आँख खुल जाती है और लगता है, “आश....सपना था।” पार्थ भी सोचने लगा कि काश ये सपना ही हो। वो इंतज़ार करता रहा पर उसकी आँख न खुली, ये सपना समाप्त न हुआ। वास्तविकता थी ये जो खड़ी तांडव कर रही थी उसके सामने।
अर्पित मौर्य 'अद्वैत'
अर्पित मौर्य 'अद्वैत' भारतीय लेखक, उपन्यासकार, कवि एवं कहानीकार हैं। अर्पित का जन्म जौनपुर जिले के अर्गूपुर कला नामक गाँव में हुआ। अर्पित की प्राथमिक शिक्षा यहीं से हुई उसके पश्चात की शिक्षा इन्होंने दिल्ली से ग्रहण की और वर्तमान समय में अर्पित दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी माता का नाम रेनू देवी है तथा पिता लालचंद मौर्य हैं। अर्पित को पढ़ने का शौक बचपन से ही लग गया था। उनके दादा, राम प्रीति मौर्य ने इस रुचि को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अद्वैत अधिकतर हिन्दी और अंग्रेजी में लिखते हैं। उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास, लिक्विड मैसेंजर ऑफ डेथ, अचिविंग हाइट्स, एन इंक्रेडिबल मैन और द डिवाइन लव हैं जो अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुए। प्रेमगर्त एवं अमावस हिंदी के उपन्यास हैं। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा लिखे गए काव्य-संग्रह, कुछ कल्पनाएं, मृगतृष्णा, मुंतशिर पर मुख़्तलिफ़ एवं बस कुछ घड़ी और हैं। सूर्यास्त कहानी संग्रह है। एक उपन्यासकार के तौर पर अद्वैत का हमेशा यही प्रयास रहा है कि उनका उपन्यास सिर्फ मनोरंजन के लिए ही महत्व न रखकर पाठक के जीवन पर भी कुछ सकारात्मक प्रभाव डाल सके। और यही कारण है कि एक प्रगतिशील लेखक होने के लिए जो गुण होने चाहिए अद्वैत उन पर पूर्णतः खरे उतरते हैं।
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