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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palज़िन्दगी की आंख मिचौली ये पुस्तक गुड्डन नामदेव जी ने लिखी है। यह पुस्तक कुल छः कहानियों का संगठन है। इस किताब में कहानियां एक अलग ही अंदाज़ में प्रस्तुत की गई है ताकि सभी को पढ़ने में न सिर्फ केवल सबक और शिक्षा ही मिले बल्कि पढ़ते समय आनंद भी आये। हालांकि कहानियां मनोरंजन के लिए है , पर एक सच ये भी है कि यह हक़ीक़त से बखूभी वास्ता रखते हैं। और किसी ने सच ही कहा है कि जब तक हक़ीक़त न हो तो किस्से,कहानियाँ नही बनते। ज़िन्दगी बहुत ही खूबसूरत सा शब्द है,ये शब्द सुनते अपने आप ही हिम्मत आ जाती है। पर ज़िन्दगी को इंसानों के साथ आंख मिचौली खेलने में ही काफी आनंद आता है शायद। ज़िन्दगी की आंख मिचौली बस कुछ किरदारों की ज़िन्दगी के ऐसे पलों से ही रूबरू कराती है। आशा है कि ये पुस्तक न सिर्फ आपको पसंद आएंगी बल्कि आपके दिलों को भी छुएंगी।
गुड्डन नामदेव
जीवन परिचय
पन्ना जिले के ' अजयगढ़ ' कस्बे में 1968 में पैदा हुई ये अपना नाम ' गुड्डन नामदेव ' लिखती है। ये पहाड़ी इलाके से हैं, इसलिए कोई शक नही इस बात पर कि उन्हें पहाड़ बहुत ही पसंद है । ये पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी इनके पिताजी इन्हें बहुत ही प्यार करते थे। सबसे छोटी होने के कारण काफी ज़िद्दी स्वभाव की थी पर इन्हें घर मे सभी सबसे ज्यादा चाहते थे। वहां पर विद्यालय न होने की वजह से और कुछ विद्यालय काफी दूर होने की वजह से इनकी पढ़ाई ग्यारहवीं कक्षा तक ही हो सकी। लेकिन फिर भी इन्हें पढ़ने लिखने का काफी शौक था तो इन्होंने और आगे की पढ़ाई करने का निश्चय किया, लेकिन तभी कुछ समय बाद इनके पिताजी के गुज़र जाने के बाद इनकी शादी हो गयी। इन्होंने फिर भी पढ़ना चाहा और शादी होने के बाद ही सही इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करी। इन्हें कला में काफी रुचि है ,हर वक़्त नया सीखना और करना इनका शौक है। इन्हें सिलाई ,कढ़ाई ,और बुनाई का काफी शौक था यहां तक कि ये काफी लड़कियों को सिखाती भी थी। वो अपने समय पर विद्यालय में काफी सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेती थी। अब तो इन्हें एक मात्र ही शौक रह गया है वो है लिखना ,जो कि अब उनकी आदत बन गयी है । लिखने से इन्हें काफी सुकून मिलता है।इनका मानना है लिखना हमे सिर्फ शांत ही नही करता बल्कि कई तनाव से मुक्त भी करता है। ये सब विषय पर लिखती है पर इन्हें बेटीयों पर लिखना काफी अच्छा लगता है। ये कई काव्य संकलन में सह लेखिका रह चुकी है जैसे कि वेदना,और एक दो किताबों की संकलक भी है जो कि जल्द ही पूरी होंगी। ये अब आगे बस ऐसे ही लिखना चाहती है। पहले ज़िन्दगी में लिखती थी ,और अब लिखना ही इनकी ज़िन्दगी है।
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