साहित्य के आकाश में लघुकथा बरसों से लिखी जा रही और पसंद की जा रही है। क्षण भर में घटित हो जाने वाली घटना बहुत प्रभाव डालती है। जैसे अचानक कोई पिन चुभो दे या कुछ शब्द कह दे ...तो कई बार जीवन बदल जाता है। लघुकथा छोटी होते हुए भी विसंगति पर प्रहार करके उसे बदलने का प्रयास करती है। सच की जमीन से उगी थोड़ी सी कल्पना के आग में तपी खरे सोने सी चमकती है और समाज के लिए पथ प्रदर्शक बन जाती है।
अपने इंद्रधनुषी रंगों को बिखेरकर मन के अंधेरों में रोशनी करती है।
हमारे परिवार, समाज और आसपास घट रही घटनाओं को
विषय बना कर लिखी जा रही लघुकथाएं चेतना जगाती है ...सावधान करती है और समस्या का हल भी बताती है।
'अपने नाप की दुनिया' साझा लघुकथा संग्रह निश्चित ही अपने उद्देश्य को पूरा करेगी। बहुत सी बधाई और शुभकामनाये ..
लेखकों, सम्पादक मंडल और प्रकाशक को।
ऐसे सराहनीय मंगल कार्य सतत चलते रहें यही दुआ है।
मधु सक्सेना