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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palभूमिका &पर्वतराज हिमालय से भी प्राचीन पर्वत शिरोमणि विंध्य की मेखला-कार्ट प्रदेश के पठार में बने-बसे भू-प्रदेश में वैदिक मल्व (अर्थवेद) और उसके पश्चात् मालव के नाम से विख्यात मालवा त्रि-भुजाकार में बसा हुआ है। मालवा का उल्लेख पाणिनी की अष्टाध्यायी में आयुधजावी संघ के रूप में हुआ है पंतजलि के महाभाष्य में भी इनका उल्लेख है छटी सदी ई.पू. में मालवा प्राचीन अवन्ति जनपद के रूप में जाना जाता था। जहाँ परमारों ने लगभग 500 वर्ष तक मालवा सहित आसपास के प्रदेशों पर शासन किया। परमार सम्राज्य पूर्व में विदिशा और उदयपुर तक तथा पश्चिम में अहमदाबाद क्षेत्र जिसमें हरसोल, मोडसा, महडी तक फैला हुआ था। इसके अतिरिक्त दक्षिण में नर्मदा तक और उत्तर में कोटा सहित राजस्थान के कुछ और प्रदेश उनके राज्य में सम्मिलित थे।
परमार शासकों तथा जनसाधारण में धर्म के प्रति आस्था के कारण इस काल में अनेक देवी-देवताओं की पूजा, व्रत, दर्शन तथा उत्सव आदि के प्रमाण मिलते हैं।
डाॅ.राजेश कुमार मीणा
नाम- डा. राजेश कुमार मीणा
पिता का नाम - रामप्रसाद मीणा
जन्म दिनांक - 13.05.1984.
जन्म स्थान - महिदपुर रोड़
पढ़ाई - पी.एचडी (परमार कालीन शासकों के लोकहित कार्य एक ऐतिहासिक अध्ययन)
- एम.सी.पी.
डिपार्टमेन्ट नाम - प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मध्यप्रदेश।
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