यह पुस्तक मैं 'संदीप कुमार 'विश्वास', अपने "रेणु गाँव औराही हिंगना" के तमाम ग्रामवासियों को तथा तमाम साहित्य प्रेमियों को समर्पित करता हूँ। यह मेरा पहला 'एकल संग्रह' है, मैंनें इस 'एकल संग्रह' का नाम भी "मेरा प्यारा रेणु गाँव औराही" रखा है, मैंने अपनी पुस्तक का नाम अपने गाँव पर इसलिए रखा! क्योंकि मैं अपने गाँव और अपने गाँव वासियों से अथाह प्रेम करता हूँ। मेरा प्यारा 'रेणु गाँव' साहित्य प्रेमियों के लिए एक पर्यटक स्थल है। मेरे इस 'रेणु गाँव' को देखने के लिए विदेश के लोग जैसे :- 'अमेरिका', 'जापान' और 'रूस' के बड़े-बड़े साहित्यकार लोग आते हैं।
हमारे गाँव के चारों तरफ हरे- भरे खेत हैं, यहाँ के अधिकतर किसान मूंगफली और धान की खेती करते हैं । यह कथाकार 'फणीश्वरनाथ रेणु' जी का जन्मस्थल भी है। जिन्हें मैं दिलो-जान से चाहता हूँ और अपने माता-पिता की सेवा करते हुए यह पुस्तक अपने माता-पिता एवं अपने प्यारे गाँव और समस्त गाँव-वासियों को समर्पित करता हूँ।