Share this book with your friends

Yun hi ban jaati kavita / यूँ ही बन जाती कविता

Author Name: Samir Upadhay 'lalit' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मैं न कविता लिखना जानता हूँ और न कवि बनना चाहता हूँ। न मैं छंद जानूँ, न तुक, न लय और न प्रास। मैं तो जानूँ सिर्फ़ मन के भावों का करना इज़हार। मैं मन में उठने वाले भावों को कागज़ के पन्नों पर शब्दों में पिरोता रहता हूँ और यूँ ही बन जाती कविता।

Read More...

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
Write your review for this book
Sorry we are currently not available in your region.

Also Available On

समीर उपाध्याय 'ललित'

कवि-परिचय


नाम: समीर उपाध्याय 'ललित'
जन्म तारीख: 17, अक्टूबर-1975
पिता: स्व.ललितचंद्र शिवलाल उपाध्याय
माता: गं.स्व.हंसाबहन ललितचंद्र उपाध्याय
जीवनसंगिनी: श्रीमती कौशल्यादेवी समीर उपाध्याय


शैक्षणिक योग्यता: M.A., B.ED., M.PHIL. हिंदी (सुवर्ण चंद्रक विजेता)
सौराष्ट्र युनिवर्सिटी-हिंदी भवन, राजकोट
प्रथम क्रमांक (1997)

Read More...

Achievements

+9 more
View All