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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palये उपन्यास मध्य प्रदेश के एक छोटेसे गाँव के गरीब लड़के की असल जिंदगी पर आधारित है। इस उपन्यास को आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत किया गया है । कहानी मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में जन्म से शुरू होती है और उसके जीवन के ढलान पर खत्म होती है। मृत्यु आने पर और पुनर्जन्म में पूरी होने की अभिलाषा । इस उपन्यास में आपको एक पिछड़े गाँव में जीवन की झलक दिखेगी , गाँव के लोग आज भी किस तरह अन्धविश्वासों में जीते हैं इस सत्यता से भी आप रुबरु होंगे। जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है। इस मायावी संसार में कोई भी प्राणी संघर्ष से बच नहीं सकता। जब तक जीवन है ,संघर्ष प्राणी के जीवन में साये कि तरह चलता है। मनुष्य, मनुष्य के सिवाय अन्य प्राणियों के उदगार नहीं जान सकता इस संघर्ष मय जीवन में। मनुष्य को भावनाओं की आंधी से जूझना पड़ता है। द्रढ़ आत्मविश्वास, आत्म संयम एवं धैर्य का मजबूती से दामन थामे रहने वाला और मजबूत संकल्प वाला मनुष्य जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से मजबूती से बिना तनिक भी बिचलित हुए सामना करता है और जीवन के संघर्ष में अन्ततः कठिनाइयों को परास्त करके विजयी होता है और जीवन में नई उचाइयां छूता है और जीवन सही मायनों में जीता है। गरीब लड़के के जीवन में बचपन के संस्कारों की भी झलक दिखाई देगी। माता पिता के स्वम के व्यव्हार ,अचार विचार किस हद तक बच्चों के कोमल मन को प्रभावित कर सकते है ,इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। मनुष्य का अधिकार सिर्फ कर्म करने पर है ,फल देना या ना देना केवल ईश्वर के हाथ में है। मनुष्य को यह भी याद रखना होगा कि भगवान् उसी इंसान कि मदद करता है जो मनुष्य अपनी खुद की सहायता करता है।
बी एल तिवारी
श्री बी एल तिवारी अब एक वरिष्ठ नागरिक है । जब वे छोटे थे तभी से भ्रष्टाचार से लड़ना शुरू कर दिया था । अब तक उन्होंने 7 मामलों में न्याय पाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का इस्तेमाल किया और सभी मामलों को वकील के बिना जीता है । हाल ही में "उपभोक्ता अदालत में न्याय के लिए लड़ाई " शीर्षक (FIGHT FOR JUSTICE IN CONSUMER COURT) से एक पुस्तक लिखी । पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है और पुस्तक स्टालों (book stalls) और किताब की दुकानों में बिक्री के लिए उपलभ्ध है । वे पेशे से एक इंजीनियर है । उन्होंने बी.ई.-मैकेनिकल इंजीनियरिंग (B.E.(Mechanical Engineering ) एनआईटी भोपाल ( रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज , भोपाल , मध्य प्रदेश) से स्नातक की डिग्री प्राप्त की / एम.टेक-औद्योगिक इंजीनियरिंग (M.Tech-Industrial Engineering ) वर्ष 1980 में आई आई टी दिल्ली से, वित्तीय प्रबंधन में डिप्लोमा से 1992 में । उनका शैक्षणिक जीवन बहुत उज्ज्वल था । मध्य प्रदेश में 1963 में बोर्ड परीक्षा में उनका नाम मेरिट सूची में 18 वां था और उन्हें राष्ट्रीय योग्यता छात्रवृत्ति (National Merit Scholarship ) से सम्मानित किया गया । अखिल भारतीय स्तर पर आईआईटी दिल्ली में एम. टेक पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान पाया । उन्होंने एसीसी लिमिटेड , फर्टिलाइजर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड , भेल , इस्पात इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उच्च स्तर के कई अन्य निजी कंपनियों में काम किया. उनका पिछला काम 1200 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट का निर्माण था । वे एक बिजली कंपनी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे । अपने जीवन में उन्होंने किसी को रिश्वत नहीं दी और न ही किसी से भी वित्तीय एहसान कभी लिया. । भ्रष्ट अधिकारी को पकड़वाने के लिए, भ्रष्टाचार निरोधक प्रमुख के साथ व्यक्तिगत संपर्क किया करते थे । ऊपर उल्लेखित किताब लिखने का इरादा ये है की अनन्याय के खिलाफ बिना वकील किये कंस्यूमर कोर्ट में लड़ा जा सकता है । “अभिलाषा पुनर्जन्म की” पुस्तक को लिखने का उद्देश्य पाठकों को यह बताना है की कड़ी मेहनत, ध्यान केंद्रित दृष्टिकोण और लगन से इक्षित लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है और कठिन परिश्रम निश्चित रूप से जीवन में सफल बनाता है । लेखक लोगों के मनोविज्ञान को भलीभांति समझता है और उन लोगों के साथ मनोवांक्षित परिणाम प्राप्ती के लिए कैसा व्यवहार करना है ,अच्छी तरह से जानता है , लेखक में विश्लेषणात्मक कौशल और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की शक्ति है । विफलताओं से निराश कभी नहीं होना चाहिए . । “एक दरवाजा बंद होता है , तो भगवान इंसान के लिए कई दर वाजे खोलता है”. उपन्यास के नायक की मनोदशा का चित्रण करने की कोशिश की गई है उन परिश्थितियों में जब नायक उस स्नेह औ
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