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Bharat me sanvaidhanik vikas ( 1773 - 1947) / भारत में संवैधानिक विकास (1773- 1947 )

Author Name: Dr. K. C. Samota | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

भारत में संवैधानिक विकास की यात्रा के बारे विवेचन करने वाली मेरी इस रचना के अन्तर्गत ब्रिटिश इस्ट इण्डिया कम्पनी के एक व्यापारिक संस्थान से लेकर भारत में राजनीतिक सता के स्वरूप को प्राप्त करने की कहानी को प्रामाणिक पुस्तकों की सहायता से सरल व सुबोध स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक वर्तमान स्वतंत्र भारत के संविधान में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों को ऐतिहासिक स्वरूप में और उसके वर्तमान संविधान पर प्रभाव की स्पष्ट व्याख्या करती है। ब्रिटिश भारत की संवैधानिक संरचनाओं को विभिन्न तालिकाओं की सहायता से समझाया गया है। यह पुस्तक निस्सन्देह विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों के लिए भारतीय संविधान के इतिहास से सम्बन्धित भाग के लिए सफलता प्राप्त करने में मील का पत्थर साबित होगी। इसी के साथ यह रचना भारतीय विश्वविद्यालयों एवं अन्य महाविद्यालयों में इतिहास एवं राजनीति विज्ञान अनुशासन का अध्ययन करने वाले हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

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डॉ. के. सी. सामोता

इस पुस्तक के लेखक  वर्तमान में राजस्थान विश्विद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत है। आप पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अध्ययन एवं अनुसंधान के कार्य से जुडे हुए है। आपने अपनी अकादमिक यात्रा अमिट जिजिविषा के रूप में आरंभ की है। आप लगातार लेखन के कार्य से जुडे़ हुए है। आपने एक स्वयंपाठी के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की है तथा सेट, नेट, जे आर एफ तथा डॉक्टरेट की शैक्षणिक उपाधियां अर्जित की है। आप सिविल सेवा में आंशिक रूचि रखते थे जिसके परिणामस्वरूप आपका चयन राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा 2012 में सामान्य श्रेणी में 381 वें स्थान पर हुआ परन्तु अकादमिक क्षेत्र के प्रति अधिक रूझान के चलते आपने शिक्षा के क्षेत्र का चयन किया। आप विशेष रूप से हिन्दी माध्यम के प्रतिभागियों के लिए सतत् रूप से लेखन कार्य से जुडे हो। आपकी अन्य पुस्तकें ’तुलनात्मक राजनीति के सिद्धान्त’ और ’लोक प्रशासन के सिद्धान्त’ विद्यार्थियों में काफी प्रचलित है। आपके द्वारा ’नेहरू की वैचारिक विरासत’ के शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिंतन के लिए एक नवीन प्रेरणा है।

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