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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रेम ! जो खुद एक रोग कहा जाता है, और इसी तासीर में इतनी ताकत भी रखता है कि कई रोगों का एक अकेला इलाज भी यही प्रेम है। कोई भी रोग तब तक नहीं जीत सकता जब तक रोगी हार नही मान लेता और "केंसर" उसी रोगी के रोग की कहानी है जो हार मान चुका था लेकिन अचानक उसका साहस भड़क उठता है और फिर....कहानी में एक मोड़ आता है। आइये इसी मोड़ से गुजरते हैं ...
अविरल जैन
मध्यमवर्गीय परिवार का वो सपना जो किसी ने देखा भी नही, सोचा भी नही, क्योंकि जिस आसमान के नीचे सोते हुए ख़्वाब देखे जाते थे, उस आसमान में कभी ये तारे नजर ही नही आए, जो कहते है - "आजा मेरे पास"। उस जीवन स्तर से उठकर जरूरत और बेबसी ने कलम के दरवाजे में खड़ा कर दिया, और अब उसे इन किताबों में पढ़ा जाएगा ।
अविरल जैन,
जीवंत भाव-सागर, जनाब राहत साहब के शहर इंदौर से हैं, सर्दियों के मौसम 18 नवम्बर 1984 को जन्मे और खुद को शब्द्सेवक कहलाना पसंद करते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि सेवा धर्म सबसे कठिन है । अपने साथ "अहिंसाधारा" लिए कई कार्यक्षेत्रों में संघर्ष करते करते शब्दों की शरण में आने वाले इस लेखक को One-Liner और ग़ज़ल की भाषा खूब समझ आती है, इसलिए उसी भाषा में बात भी करते हैं। इनकी कहानियों में भी "परफेक्ट डायलाग" की कोई कमी नही होती, तो पन्ने उलटने में देर नही करनी चाहिए ।
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