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CHAKRAVYUH / चक्रव्यूह

Author Name: Ram Pratap Singh | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

मुझे याद आ रहा है आठ साल पहले का वो मंजर जब मैं और मेरे साथी नक्सलवादियों के चक्रव्यूह से सुरक्षित बच निकलने में  कामयाब हो  गए थे | न जाने कितने निर्दोष लोगों की हत्या, लूटपाट और आगजनी मैंने अपनी आँखों से देखा था......बस्तर की हरी भरी वादियों में मौत का तांडव देखा था....नक्सलवादियों के बंदूकों से निकली हुई गोलियों से इस धरती को लाल होते हुए देखा था ...... वो पीड़ा आज भी मेरे दिल में एक शूल की तरह चुभती है क्योंकि मैंने खोया है अपनों को ........मेरे .पैदा होने के बाद ही मेरे माता-पिता को गोलियों से भून दिया गया  .... मेरे भाई को बम्ब से उड़ा दिया गया .....मेरे प्यारे महात्मा जैसे दादू को  अकारण ही नक्सलवादियों की गोली का  शिकार होना पड़ा पर मैं उनके लिए कुछ न कर सका .....दादू ने ही मुझे चक्रव्यूह से निकलने की शिक्षा दी थी तभी मैं उन सपनों को पूरा कर पाया जो बचपन में उन्होंने मुझे दिखाए थे |उनकी याद आते ही आँखें भर आती हैं | अगर हम नक्सल चक्रव्यूह से न निकले होते तो हम भी भारत देश के उन हजारों युवाओं की तरह नक्सलवाद की वेदी में स्वाहा हो जाते, न ही हमारा कोई वर्तमान होता और न ही कोई भविष्य |

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राम प्रताप सिंह

राम प्रताप सिंह भारतीय सेना, मैकनाइज्ड इनफेन्ट्री रेजीमेंट व सीमा सुरक्षा बल में एक सैन्य  अधिकारी थे | उन्हे सैन्य सेवा का 36 वर्षों का अनुभव है| उन्होंने अंग्रेजी साहित्य, विधि,मानव अधिकार, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, सायबर लॉ , लेबर लॉ में मास्टर्स डिग्री व डिप्लोमा हासिल किया है | सैन्य सेवा से मुक्त होने के बाद उन्होंने  वकालत का पेशा भी अपनाया | अब वह अपना पूरा समय पठन-पाठन व लेखन में देते हैं | चक्रव्यूह उनका दसवां  उपन्यास है | लेखक से पत्र व्यवहार का पता –Email  : rps1959@gmail.com Mobile No 91-7000153809. 

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