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Darakte Dayare / दरकते दायरे

Author Name: Vineeta Asthana | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

कहानी 1993 के कानपुर में श्रुति और समीर से शुरू हो कर, लखनऊ में सुम्बुल से होती हुई उस कगार पर पहुँचती है, जहाँ से तीनों की राहें अलग हो गई थीं। बचपन के प्यार और लड़कपन के रिश्तों की चुटीली शरारतों से भरी ये कहानी, उम्र के साथ आने वाले बदलावों को संवेदनशील तरीक़े से प्रस्तुत करती है। उम्र के साथ होने वाले लैंगिकता के बोध को भी इस कहानी में दर्शाया गया है। कभी-कभी बचपन का प्यार और लड़कपन के फ़ैसले, कैसे हमारी ज़िन्दगी की दिशा निर्धारित करते हैं। कुछ चाहतें मुकम्मल कहानी बन जाती हैं। कुछ फ़ैसले ज़िन्दगी का सबक़ बन जाते हैं। कुछ लोग ज़िन्दगी में याद और क़िस्सों की तरह अपना असर छोड़ जाते हैं। उन्ही यादों और क़िस्सों से रंगी है, ये कहानी ‘दरकते दायरे!’

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विनीता अस्थाना

पत्रकारिता में परास्नातक विनीता ने करियर की शुरुआत जनसत्ता से की और दैनिक जागरण ग्रुप ,नेटवर्क 18 ग्रुप के साथ भी काम किया है। टीवी न्यूज़ उन्हें रास नहीं आया तो 2006 में वे सक्रिय पत्रकारिता को अलविदा कह कर पूरी तरह से अध्यापन के क्षेत्र में आ गयीं। पिछले 19 सालों में वे कई नामी-गिरामी मीडिया संस्थानों में अध्यापन कर चुकी हैं। विनीता, कंसलटेंट के तौर पर नए संस्थानों की स्थापना और प्रासंगिक पाठ्यक्रम बनाने का कार्य भी करती हैं। इस समय वे शिक्षा मंत्रालय की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना पर आई आई टी दिल्ली में कार्यरत हैं। विनीता की पिछली पुस्तक बेहया को पाठकों का बेशुमार प्यार मिला है। 

विनीता ख़ुद को कथाकार न मानकर पत्रकार ही मानती हैं। पठन-पाठन को लेकर बेहद संजीदा विनीता की मानें तो उनका काम उन्हें रोज़ नए किरदार और जीवित कहानियों से मिलने का अवसर देता है। उनकी पुस्तकें उन्हीं जीवित कहानियों और किरदारों का एक अंश है।  

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