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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआधुनिक जीवन जितना धारा समान बहता हुआ दिखता है, उतना सही मे है क्या??
ये सहजता, मुस्कुराहट, हँसी के पीछे क्या कुछ चलता रहता है दिमाग के अंदर ??
कैसे लोग सामना करते हैं दुख, दर्द, उथल-पुथल से , व्यक्तिगत जीवन मे ??
एक व्यक्ति के जीवन मे दर्द का प्रस्फुटन किस तरह से व्यक्त होता है ?? और इस वैयक्तिक दर्द को रूपांतरित करके सार्वभौमिक समभाव का अनुभव कैसे किया जा सकता है, ये किताब उसी का अन्वेषण करती है।
ये कविता की किताब और कुछ नहीं बस एक आर्त हृदय की पुकार है, और अपने बनाने वाले से एकालाप है। इस एकालाप ने लेखक को एक असहाय मनुष्य से एक रूपांतरित आत्मा मे कैसे तब्दील कर दिया, ये किताब उसी यात्रा का दस्तावेज़ है। अपने आप को व्यक्त करने के जज़्बात, और उसे साझा करने से मिलने वाला आत्म-परितोष वो चरम अनुभूति हैं, जो लेखक अपने अहम्माम्न्य पाठकों के साथ बाँटना चाहता है।
शैलेन्द्र प्रसाद
शैलेन्द्र प्रसाद पेशे से इंजिनियर हैं, और सरकारी सेवा में हैं। उनकी एक अपनी गहरी, संवेदनशील दृष्टि है, जो आस-पास के होते हुए परिवर्तन और आम आदमी पर उसके प्रभाव की सहानुभूतिपूर्ण समीक्षा करती चलती है। उनकी संवेदनशील तादात्मता , मानव जीवन के नैतिक,व्यावहारिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति अतीव निष्ठा, और आत्माभिव्यक्ति का विशिष्ट अंदाज़ एक ईमानदार मानव जीवन मे उठते हुए उद्वीगों की गहरी पड़ताल करती है, और उनकी कविताओ को ऐसी मानवीय संवेदनाओ से आच्छादित करती है, जो आज दुर्लभ है।
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