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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअरविंद ने जिस दिन से पत्रकार की कलम पकड़ी है, तब से मैं उनकी हर कामयाबी का साक्षी रहा हूँ। जब वे ‘हिंदी मिलाप’ से जुड़े, मैं वहाँ संपादक था। हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ की वजह से अरविंद के सामने कभी कोई दिक़्क़त नहीं आयी। अरविंद तरक़्क़ी करते ही गये। अरविंद की कई ख़ूबियाँ हैं। वे अध्ययनशील हैं। उनका मन जिज्ञासु है। एक अच्छे शोधार्थी के सारे गुण उनमें मौजूद हैं। वे प्रयोगधर्मी हैं और नित-नये प्रयोग करने से डरते नहीं हैं। छोटी-उम्र में ही अरविंद ने दक्षिण-भारत के सभी राज्यों की कला-संस्कृति, इतिहास, राजनीति आदि के बारे में जानकारियाँ जुटा लीं। यही जानकारियाँ उनके लिए एक पत्रकार के रूप में काफ़ी लाभप्रद साबित हुईं।
‘दो स्तंभ’ नाम से यह जो पुस्तक प्रकाशित हो रही है, इसमें अरविंद के लिखे कुछ लेख हैं। दो अलग-अलग स्तंभों में प्रकाशित ये लेख अरविंद ने उस समय लिखे थे, जब वे संपादन-कला सीख रहे थे। अरविंद हमेशा पत्रकारिता में अपने काम को उन्नति की ओर ले गये हैं। इन लेखों के ज़रिये सार्थक प्रयोग अरविंद ने किये हैं। अरविंद का हर काम लोक-कल्याण के लिए ही रहा है। पत्रकारिता के सिद्धांतों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। सत्य को ही हमेशा अपने काम का आधार बनाया और इसी वजह से उन्हें हमेशा सफलता मिली।
सदाशिव शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार, संपादक
अरविंद यादव
अरविंद यादव जाने-माने पत्रकार और लेखक हैं। पत्रकार के नाते उन्होंने बहुत कुछ देखा, सुना और अनुभव किया है। काफ़ी कहा और बहुत लिखा है। कथनी और लेखनी के ज़रिये असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उन्होंने लड़ाई लड़ी है और अब भी लड़ रहे हैं। समाज में दबे-कुचले लोगों के लिए किये जा रहे संघर्ष ने उन्हें पत्रकारों की फ़ौज में अलग पहचान दिलायी है। पिछले दो-तीन सालों से उनका ज़्यादा ध्यान ऐसे लोगों के बारे में कहानियाँ/लेख लिखने पर है, जो देश-समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में जुटे हैं। कामयाब लोगों के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को जानना और उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश करना अब इनकी पहली पसंद है।
अरविंद साहित्यिक कहानियाँ भी लिखते हैं। वे एक जीवनीकार के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। आलोचना में भी उनकी गहन दिलचस्पी है। हिन्दी आलोचना की वाचिक परंपरा के हिमायती हैं।
हैदराबाद में जन्में और वहीं पले-बढ़े अरविंद की सारी शिक्षा भी हैदराबाद में ही हुई। अरविंद ने हिन्दी साहित्य, अंग्रेज़ी साहित्य, क़ानून, विज्ञान और मनोविज्ञान की पढ़ाई की। हिंदी मिलाप, आजतक, चैनल 7 / आईबीएन 7, साक्षी टीवी, टीवी 9 और योरस्टोरी जैसी नामचीन मीडिया संस्थाओं में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ निभा चुके अरविंद दक्षिण भारत की राजनीति और संस्कृति के बड़े जानकार हैं। ख़बरों और कहानियों की खोज में कई गाँवों और शहरों का दौरा कर चुके हैं। यात्राओं का दौर थमने वाला भी नहीं है।
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