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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहर मनुष्य 'सत्य' की खोज में लीन है लेकिन लगभग सभी यात्रा के मध्य में खोज को त्याग देते हैं। द फॉलन वन जो की उसके अहंकार का एक रूप है उसे हमेशा प्रताड़ित करता है । पहला कदम यह स्वीकार करना है कि हां मैं एक पतित हूँ और उसके बाद ही सत्य की खोज के लिए आगे बढ़ना चाहिए। यह अस्थिर मानसिक अवस्था है इसलिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसलिए, मैं विशेष रूप से 'भारत के युवा' तक पहुंचना चाहूंगा ताकि उन्हें 'सत्य की खोज' की यात्रा का बोध हो सके। यह आसान नहीं है शायद सबसे कठिन काम है, लेकिन निरंतर आत्मिक मंथन ही इस यात्रा की कुंजी है। इस यात्रा को समझने के लिए पुस्तक में विज्ञान और गणित से संबंधित कुछ अवधारणओं को भी प्रस्तुत किया है जिसमें बुद्धिजीवियों को भी रुचि होगी। यह उन लोगों के लिए भी है जो सत्य की खोज करते समय ऐसे अनुभवों से गुजरें हैं।
तरुण दीप सिंह
तरुण दीप सिंह एक आईटी पेशेवर हैं। उन्होंने मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, ईस्ट लांसिंग, यू.एस.ए से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एम.एस किया है। उन्होंने पी.सी.आई बस में फॉल्ट अलगाव पर अमेरिकी पेटेंट का सह-लेखन किया है। वह लिखने में रुचि रखते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करना पसंद करते हैं। उन्हें टेबल टेनिस खेलना और हिंदी में कविताएँ लिखना पसंद है।
उन्होंने कॉलेज के दिनों में लिखना आरंभ किया था। उन्होंने हिंदी कविताओं के साथ आरम्भ किया जो दुखों से ऊपर उठकर मानव संघर्षों पर केंद्रित थी। जिसने उन्हें मनुष्य के मन की पीड़ा के कारणों को खोजने के लिए प्रेरित किया। वे भाग्यशाली रहे की उन्हें अपनी खोज में कई प्रश्नों के उत्तर मिले। उनके अनुभव शब्दों में लिखे गए और लेखन उनका जुनून बन गया। इसने उन्हें 'अपने उद्धारकर्ता' का धन्यवाद करते हुए लिखने के लिए प्रेरित किया। जैसे-जैसे भावनाएँ बढ़ीं, शब्दों की गिनती बढ़ती गई और शब्दों के संग्रह ने पुस्तक का रूप ले लिया। उनके प्रकाशन निम्नलिखित हैं:
· पुस्तक "द जर्नी - ट्रैवलर विद इन” अंग्रेज़ी में है।
“एक यात्रा अंतर्मन की" उसका हिन्दी सन्सकरण है।
यह पुस्तक आत्म-साक्षात्कार की यात्रा के बारे में है।
o उन्हें आग़ाज़-2k20 में सर्वश्रेष्ठ लेखक के लिए साहित्यिक संगठन ‘ऑथर इन यू’ द्वारा सम्मानित किया गया।
· पुस्तक "वट इज एन इंडियन?" में एक भारतीय में कौन-कौन से गुण होने चाहिए इस के बारे में बताया गया है।
· पुस्तक "मैन इज अ थॉट: साइंटिफिक एँड थियोलॉजिकल जर्नी टू स्पेस ऑफ़ थॉट्स" विचारों और उनकी स्पर्शनीयता का पता लगाने की कोशिश करती है।
· वेस्टलैंड पब्लिशर्स द्वारा ‘इंडियन टीनएज सोल-टीन टॉक-ग्रोइंग अप के लिए चिकन सूप’ में वास्तविक अनुभव के आधार पर उनकी रचना ’रेसुररेक्शन ऑफ़ फेथ’प्रकाशित हुई थी। यह कहानी इस पर प्रकाश डालती है कि कैसे एक तर्क वादी ने आस्था के आगे समर्पण कर दिया।
· उनकी पुस्तक ’समर्पण‘ हिंदी कविताओं' का संग्रह है।
कई पाठकों के अनुसार उनकी पुस्तकें मानव मन के दर्पण की तरह हैं: आश्चर्यजनक रूप से आध्यात्मिकता और दर्शन के साथ मिश्रित। लेकिन वे स्वंय को निम्नलिखित शब्दों में परिभाषित करते हैं:
"मैं कुछ नही हूँ। मेरी उत्पत्ति सर्वशक्तिमान की कृपा से हुई है और मुझे विश्वास है उसकी कृपा से ही मैं अनंत में विलीन हो जाऊँगा।”
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