Share this book with your friends

ganaraajy, sangh, maanakeekaran sangathan aur Sampoorn maanak ​ / गणराज्य, संघ, मानकीकरण संगठन और सम्पूर्ण मानक

Author Name: Lava Kush singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विषय- सूची
गणराज्य व संघ परिचय
राज्य व गणराज्य: उत्पत्ति और अर्थ
राष्ट्र
सम्प्रभु राष्ट्र
राष्ट्रवाद
भारतीय राष्ट्रवाद की प्राचीनता
महर्षि अरविन्द (15 अगस्त, 1872 ई० - 5 दिसम्बर 1950 ई०)
वैश्विक राष्ट्रवाद


भाग-1 : गणराज्य व संघ
भारत गणराज्य: संक्षिप्त शासकीय परिचय
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) : परिचय, उद्देश्य एवं कार्यप्रणाली
 1. वीटो पावर - संयुक्त राज्य अमेरिका (US)  
 2. वीटो पावर - फ्रांस
 3. वीटो पावर - रूस 
 4. वीटो पावर - चीन
 5. वीटो पावर - ब्रिटेन (UK)
गणराज्य: अन्तिम विश्व शासन प्रणाली
ग्राम सरकार व विश्व सरकार: एक प्रारूप 


भाग-2 : मानक एवं मानकीकरण संगठन
परिचय
मानक एवं मानकीकरण संगठन
अन्तर्राष्ट्रीय माप-तौल ब्यूरो
अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO)
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
मानक के सम्बन्ध में विभिन्न वक्तव्य
1. व्यक्ति भी हो सकते हैं आई. एस. ओ. मार्का
 2. पं0 जवाहर लाल नेहरु  
 3. श्री मती इन्दिरा गाँधी
 4. श्री राजीव गाँधी 
 5. डब्ल्यू0.टी.कैबेनो
 6. श्री कोफी अन्नान 
7. लव कुश सिंह “विश्वमानव” 


भाग-3 : सम्पूर्ण मानक
“सम्पूर्ण मानक”का विकास भारतीय आध्यात्म-दर्शन का मूल और अन्तिम लक्ष्य
भारत का संकट, हल, विश्वनेतृत्व की अहिंसक स्पष्ट दृश्य नीति, सर्वोच्च संकट और विवशता
गणराज्य-संघ को मार्गदर्शन
 01. गणराज्यों के संघ-भारत को सत्य और अन्तिम मार्गदर्शन
 02. राष्ट्रो के संघ - संयुक्त राष्ट्र संघ को सत्य और अन्तिम मार्गदर्शन
 03. अवतारी संविधान से मिलकर भारतीय संविधान बनायेगा विश्व सरकार का संविधान
 04. ”भारत“ के विश्वरूप का नाम है-”इण्डिया (INDIA)“
 05. विश्व सरकार के लिए पुनः भारत द्वारा शून्य आधारित अन्तिम आविष्कार

Read More...
Paperback
Paperback 350

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

Read More...

Achievements

+5 more
View All