You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal'ह्रदय कोष- नौ रूपों की आख्यायिका' स्त्रियों के भिन्न भावनाओं को दर्शाती नौ कहानियों का एक संग्राहलय है| स्त्रियों के रूपों से हम स्वयं को कभी परिचित ही नहीं करवाते, कदाचित हमें यह इतना महत्वपूर्ण लगता ही नहीं है| शायद हम सब ने स्त्रियों के लिए अपने मस्तिष्क में कुछ धारणाएँ बना ली हैं कि स्त्रियों को ग्रह कार्यों में निपुण होना चाहिए, उन्हें अपने ग्रहस्थ जीवन की ओर ध्यान देना चाहिए, उन्हें ज़्यादा बोलना नहीं चाहिए, उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के साथ हसनाँ नहीं चाहिए, आदि-इत्यादि|
हम वास्तविक सत्य की बात करें तो, हम सब ने ईश्वर की सबसे नायाब रचना को अपने हाथों की कटपुतली बनाने की चेष्टा की है, हम जैसे कहें वह वैसे रूप में ढ़ल जाए बिना किसी प्रकार की कोई आवाज़ किए, नारी दिखनी तो चाहिए परन्तु सुनाई नहीं देनी चाहिए| इसमें गलती समाज की भी नहीं, जिस प्रकार प्यास लगने पर आपको स्वयं कुए के पास जा कर जल ग्रहण करना पड़ता है कुआँ आपके पास नहीं आता, ठीक उसी प्रकार आपको अपने सम्मान, अपने अस्तित्व, अपनी काबिलियत को स्वयं सिद्ध कर के समाज में स्थापित करना पड़ता है, कोई और आपके लिए यह कार्य नहीं करता|
माँ दुर्गा के रूपों की भांति मैंने स्त्रियों के जीवन की नौ भावनाओं को परिभाषित करने की चेष्टा की है मोह, ममता, गौरव, त्याग, स्वप्न, स्नेह, क्रोध अथवा प्रेम को दर्शाना चाहा है|
संस्कृति सिंह निरंजन
संस्कृति सिंह निरंजन का जन्म बुंदेलखंड के एक गाँव में हुआ था, इन्होनें अपनी पढ़ाई उत्तर प्रदेश की राजधानी के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय से पूर्ण की|स्नातक में मनोविज्ञान होने के कारण ये मनुष्यों के मन के भेद को पहचानने में सक्षम हैं|अक्सर इनकी रचनाओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है|
हिंदी साहित्य में रचनाओं के लिए इन्होनें “निरंजन” शब्द का सहारा लिया है, इनका वास्तविक नाम संस्कृति सिंह है|इन्होनें अपनी कहानियों में जहाँ अंधविश्वास, रूढ़ियों तथा अन्धपरम्परायों पर चोट की है, वही सहज मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों की संरक्षा की है|
इस प्रकार संस्कृति सिंह निरंजन अपनी कहानियों द्वारा भारतीय जन जीवन की यथार्थ झाँकी प्रस्तुत करती हैं, तथा समाज के विभिन्न वर्गों की ज्वलंत समस्याओं का प्रगतिशील दृष्टिकोण भी पाठको के समक्ष रखती हैं|
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.