Share this book with your friends

Humanity in holy Quran ? / पवित्र क़ुरआन में इंसानियत ?

Author Name: Abdul Waheed | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

आज जिस प्रकार से कुछ लोग इस्लाम को बदनाम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं जिसमें मुख्य यह कि पवित्र क़ुरआन में क्या इंसानियत है? इस्लाम धर्म के मानने वालों के अलावा अधिकतर धर्म में कुछ व्यक्तियों द्वारा बदनाम करने का असफल प्रयास किया जाता है।

कुछ लोग तो न समझ नादान लोग गुमराह हो जाते हैं लेकिन जो पढ़े लिखे होते हैं या जिसके अंदर जिज्ञासा होती है कि आखिर में उनकी बात कितनी सही है? तो उसके लिए पवित्र क़ुरआन में तहकीकात करने लग जाते हैं कि सच क्या है? लेकिन सच क्या है वह खुद ही समझ सकते हैं। और कुछ लोग तो पवित्र क़ुरआन में कमी ढूंढने के उद्देश्य से रिसर्च करते हैं लेकिन उनके हाथ मात्र निराशा ही लगती है क्योंकि एक शब्द में यदि गलत प्रचार किया गया होता है तब वह उस शब्द के आगे और पीछे की बातों को पढ़कर समझ सकता है जिससे उसका भ्रम दूर हो जाता है। यही पवित्र क़ुरआन की विशेषता है। इस पुस्तक में पवित्र क़ुरआन के अंदर जो आयतें प्रस्तुत की गई है कृपया आप खुद उसका अवलोकन करें ताकि और विचार करें जिससे बात स्पष्ट हो सके यह तो तकरीबन डेढ़ हजार साल पुरानी बातें हैं लेकिन वह आज भी लागू होती हैं यही इसकी विशेषता है।

मुझे इस पुस्तक से काफी उम्मीद है की इससे आप लाभ उठाएंगे और जानकारी प्राप्त होगी । मैं भी एक इंसान हूं मुझे जितना समझ में आता है मैं पेश कर देता हूं अब आपको इसे समझने की आवश्यकता है। कृपया पढ़ें और यदि कोई कमी नजर आए तो अवगत करायें ।

धन्यवाद 

आपका- अब्दुल वहीद, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश, भारत (इंडिया

).

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

अब्दुल वहीद

मेरा नाम अब्दुल वहीद है मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है । मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है । जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए - नए खोजो को जानकारी में प्रयुक्त रहा है । मैं BSc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था , लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सर्वगवास हो गया था । 

मेरे पिता जी की दो बातें जो , मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है -

प्रथम - इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो , 

दूसरा अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो । 

इसलिए घर की जिम्मेदारी , फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरूर अवगत कराये । 

धन्यवाद ।

मुझसे संपर्क करे -

www.facebook.com/profile.php?id=10009129

8026218

Read More...

Achievements

+1 more
View All