You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal1 . अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का उपागम
2 . शीत युद्ध
3 . भारत की विदेश नीति
4 . वैश्वीकरण
5 . वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दें
6 . अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद
संदेश प्रसाद महतो
संदेश प्रसाद महतो
जन्म 10 मार्च 1998
संदेश प्रसाद महतो का जन्म 10 मार्च 1998 में, बिहार के सिवान जिले के सुवही ग्राम में महेन्द्रनाथ मंदिर के निकट रामगढ़ पुल पार हुआ। इनका जन्म फाल्गुन मास में मंगलवार को हुआ। बचपन से लेकर आज तक इनको गांव में टमाटर के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि इनके जन्म के उपरांत इनका मुख गोल मटोल लाल लाल टमाटर की तरह था इसलिए गांव में आज भी टमाटर के नाम से इनकी चर्चा होती है। इनका वास्तविक नाम अनुप कुमार है। परन्तु लेखन की दुनिया में इनको यह नाम जमा नहीं इसलिए इन्होंने अपने नाम के स्थान पर संदेश प्रसाद महतो रखा। इनकी माताजी का नाम श्रीमती चिंता देवी है और वह बहुत ही अच्छी गृहणी है तथा पिताजी का नाम श्रीमान संदेश प्रसाद महतो है। इन्हीं से इनको अत्यधिक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है और होता रहता है। इसलिए इन्ही के नाम पर अपना लेखन शुरू किया क्योंकि नाम से ही इतने शब्द व्यक्त होते हैं कि इस नाम की बात ही कुछ और है। इनके छोटे चाचा श्रीमान राजेश महतो जो हनुमान भक्त हैं उन्हीं से इनको भक्ति की प्रेरणा मिली और यह भी हनुमान भक्त बने । इनके पिता भी तीन भाई हैं (भदयी महतो, संदेश प्रसाद महतो, राजेश महतो) और ये भी। क्रमानुसार अनूप, अनीस, अनुज। ये घर के सबसे बड़े पुत्र है।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा बिहार के प्राथमिक विद्यालय से ही हुई परंतु उनका मन नहीं रमा तो उनके पिताजी ने उन्हें दिल्ली के स्कूल में दाखिला कराया। वहां से 12वीं करने के उपरांत दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में इनके पिताजी ने ही दाखिला कराया। बी.ए. की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत एम.ए. पढ़ाई कर रहे हैं। अध्यापन कार्य में भी इनका मन बहुत रमा है। कहानी के साथ साथ ये कविता, लेख, ग़ज़ल आदि लिखते हैं और पाठ करते हैं। इनको हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, भोजपुरी भाषाओं का बौध है। पठन में भी इनका मन बहुत रमा। बालपन से ये सीधे साधे सरल और दानी स्वभाव के हैं, न कभी किसी से बैर, न ही ईर्ष्या रखा। इनके अंदर मित्रभाव कूट कूट कर भरा हैं। सारी परिस्थितियों में डटकर खड़े रहे हैं साथ ही साथियों की सहायता भी करते हैं, चाहें स्वयं का ही कार्य छूट क्यों न जाएं। मदद करने से पीछे नहीं हटते। मदद का भाव इनको घर से ही मिला है जो इनमें भी है। इनके अंदर भावना बहुत हैं और इनका मानना है कि भावना नहीं, तो कुछ नहीं।
जन्मोपरांत से इनको बहुत लाड़ प्यार मिला और इनके जन्म से परिवार की स्थिति बहुत सुचारू हुई तथा फसलें भी लहलहायीं। ये सब इनकी माता ने इनको बताया और ये भी बताया कि इनके पिता की दो शादी हुई हैं। दुसरी शादी के तदनन्तर से इनके पिताजी को शादी में और अन्य कार्यक्रम में नहीं पुछा जाता। ये सुनकर इनके मन को ठेस पहुंचा। इनके दादा-दादी (श्रीभुनेश्वर महतो-श्रीपतिया देवी) भी इनको बहुत प्यार देते हैं इनकों अधिक मानते हैं।
कॉलेज की दुनिया बहुत रंगीन
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.