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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारी ये पुस्तक काश बचपन लौट आता मेरा उम्मीद करती हूँ की आपको ये पुस्तक बहुत ही प्रसंद आने वाली है बचपन में हम सभी जब बड़ो को देखते हैं तो हमे उस वक्त ये ही लगता है की काश हम भी बड़े होते काश जल्दी से हम बड़े हो जाए और इस स्कूल जाने से हमे मुक्ति मिले पर जब हम बड़े हो जाते हैं तब शायद हम बचपन की असली कीमत का अंदाजा हो जाता है वो प्यारा बचपन वो प्यारी यादे वो कहानियां वो शरारतें वो अपनो के संग बिताए एक एक लम्हे हमे याद आते हैं काश हमे भी एक जादुई पेंसिल या कोई बचपन वाली प्यारी सी परी जो की कुछ क्षण के लिए सही हम वो अपने प्यारे से बचपन को फिर से जी पाते फिर तितलियों को पकड़ते संगी साथियों संग खूब मस्ती खूब मजाक खूब खेलते कूदते और काश!फिर से वो मीठी सी प्यारी सी चैन की नींद सो पाते कभी रूठते कभी मनाते आज वो समय ही नहीं है की हम चैन की नींद सो पाए और हम उन लम्हो को सोचकर कभी कभी उसमे खो भी जाते हैं और सोचते हैं काश एक दिन के लिए ही सही ये बचपन लौट आता न कोई चिंता न कोई दुख बस पढ़ाई ,मस्ती,शैतानियां ऐसा होता है बचपन ,हमने इस पुस्तक में 40 कवि कवियत्री की लिखी रचना,गीत को संग्रहित करकर आप सबके समक्ष प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास किया है इन सबकी सुंदर रचना ,गीत उम्मीद करते हैं आप सबके दिल को छू जाएंगे मुझे तो ऐसा लगता है की जब आप इस पुस्तक को पढ़ रहे होंगे तो शायद आप भी कही अपने बचपन की सुंदर यादों में खो से जाएंगे और आप भी ये ही कहेंगे काश बचपन लौट आता मेरा ,अंत में मैं अपनी प्यारी बहन मुस्कान केसरी जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ की उन्होंने मुझे ये सुअवसर प्रदान किया
बचपन के वो प्यारे लम्हे काश कोई फिर से लौटा दे
गुड्डे गुड़िया खेल खिलौने फिर से मुझको याद दिला दे
मुस्कान केशरी और राखी उपासना कौशिक
मुस्कान केशरी स्व० मनोज केशरी जी और संध्या देवी जी की सुपुत्री हैं। मुस्कान केशरी जी एम. एस केशरी प्रकाशन की CEO है, साथ ही साथ वो एक लेखिका एवं कवयित्री हैं। मुस्कान एनसीसी कैडेट, ब्यूटीशियन, शिक्षिका भी हैं। मूल रूप से मुस्कान मुजफ्फरपुर, बिहार से ताल्लुक रखती हैं। इन्होने लेखन की शुरुआत की और धीरे - धीरे लेखन में इनकी रूचि बहुत ज्यादा हो गई। ये नये - नये विषयों पे कविता, कहानी लिखना पसंद करती हैं। ये 200 +काव्य संग्रह और 22 साझा संकलन की संकलनकर्ता रह चूँकी है।
इनका नाम राखी उपासना कौशिक है ये दोनों हंगामा लोक साहित्यिक, सामाजिक संस्था की संस्थापिका है ये समाजसेविका है समय समय पर सामाजिक कार्य करती रहती है इनकी रचनाएं अनेको पत्र पत्रिकाओं व देश विदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं ये दोनों आकाशवाणी के कार्यक्रमो में भी समय समय पर अपनी प्रस्तुति देती रहती है इनको विभिन्न संस्थाओं द्वारा साहित्य व सामाजिक क्षेत्र में अनोको सम्मान प्राप्त हो चुके हैं इन दोनों ने 400 घंटे अनवरत चल रहे विश्व के सबसे बड़े कवि सम्मेलन में सहभागिता कर कर वर्ड रिकॉर्ड में अपना नाम अंकित कर कर अपने शहर धामपुर का गौरव बढ़ाया हैं।
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