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Kheti-Kisani Aur Pashudhan / खेती किसानी और पशुधन वन्य जीवों, पर्यावरण और धरती की दशा

Author Name: Dr. Satywan Saurabh | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

प्रस्तुत पुस्तक “खेती किसानी और पशुपालन“ देश के विश्वविद्यालयों में अध्यनरत कृषि स्नातक के छात्रों और देश के आमजन के अनुरूप मातृ भाषा हिन्दी में लिखी गई है। खेती किसानी और पशुपालन की आधुनिक समस्याओं पर पर अंग्रेजी भाषा में अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं, परन्तु हिन्दी भाषा पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तकें नगण्य ही है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह पुस्तक बहुत ही संक्षिप्त व सरल भाषा में लिखी गई है ताकि विधार्थियों को विषय को समझने में कोई कठिनाई नही हो। इस पुस्तक में जो 50 अध्याय सम्मिलित किये गये हैं, उन्हें सरल सुबोध बनाने का यथासंभव प्रयास किया गया है।

 कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्रों पशुपालन में श्रमिकों की व्यापक भागीदारी है क्योंकि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बहुत कम हैं और पशुपालन पर निर्भर है। वर्तमान पुस्तक जमीनी स्तर पर कृषि और पर्यावरण संकट का पता लगाने और इसका विश्लेषण करने पर केंद्रित है।  नई एग्रो तकनीक और गैर-कृषि रोजगार में पशुपालन रोजगार पैदा करके ग्रामीण बनिुयादी ढाँचे का उन्नयन करने की आवश्यकता है जो ग्रामीण परिवारों के बीच गरीबी को कम करेगा। हमें उम्मीद है कि वर्तमान वर्तमान पुस्तक खेती किसानी और पशुपालन के गतिशील और सतत विकास के लिए एक रणनीति विकसित करने में सभी हितधारकों के लिए फायदेमद होगी.

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डॉ. सत्यवान सौरभ

 समभावी  और विचारशील लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ का जन्म हरियाणा के भिवानी के गाँव बड़वा में 03 मार्च 1989 को पिता श्री रामकुमार रिछपाल गैदर माता कौशल्या देवी के परिवार में सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ। आप चार भाई-बहन हैं। आपका विवाह प्रियंका सौरभ से 2016 में सम्पन्न हुआ। आपके प्रारंभिक जीवन का परिवेश कभी भी उत्साहवर्धक नहीं रहा, परिस्थितियां हमेशा विषम बनी रही। जीवन में उत्साह के परिवेश का उजास आपको जन्म के 22 साल बाद प्राप्त होने आरम्भ हुआ जब आपने सरकारी सेवा में प्रवेश किया और विभागीय कार्य करते हुए 2019 में राजनीति विज्ञान विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तथा पीएच. डी. के लिए पंजीकरण करवाया।इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है।

सौरभ की उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनकी रचनाएं बड़ी संख्या में हज़ारों सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। इसी दौर के समाचार पत्रों में ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है। विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की महारत के फलस्वरूप इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है। तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह), यादें (ग़ज़ल संग्रह), परियों से संवाद (बाल काव्य संग्रह) और इश्यूज एंड पैन्स (अंग्रेजी निबंध संग्रह) डॉ. सौरभ की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनके साथ-साथ सैंकड़ों पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है।

  सदैव जिंदा दिल रहने की मुख्य वजह लेखन से प्राप्त ऊर्जा को मानने वाले डॉ. सौरभ नि:स्वार्थ भाव से लेखन को ही अपनी पूजा, धर्म और कर्म मानते हैं। अन्ततः यही कि अपने आप को सृजनात्मकता में लीन करने वाले डॉ. सत्यवान सौरभ ऐसे विचारशील लेखक हैं जो सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को सतत रूप से संस्कारित, पल्लवित और संरक्षित रखने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।

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