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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal“लाल किताब ग्रहफल विचार” संशोधित सन्सकरण पूरा करते-करते एक बात दिमाग में बैठ गई कि पिछले आठ साल में इस ग्रन्थ में जो समझने की कोशिश करता रहा वो दरअसल इसमें है ही नहीं ! पाँच किताबों का यह ग्रन्थ दरअसल “कर्म और संस्कार” का संगम है ! मुझे कहने में कोई हिचकचाहट नहीं जो मैं या मेरे साथी इसको समझते रहे वो यह हैं, इस ग्रन्थ का आधार “अध्यात्म” है !
लाभ-हानि, यश-अपयश, जीना-मरना सब कुदरत के हाथ और ग्रन्थकार भी लिखता है कि “दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए-खुदाई नहीं” ! ग्रन्थ का आधार सूरज है इसलिए सूरज का उदय होना और बच्चे का पैदा होना इस का आधार है
अक्स गैबी ज़ाहिर पहले, था सितारों पर हुआ
नक्श पीछे दुनिया, के दिमागों आ हुआ
दिमागी खानों का असर तब, हाथ की रेखा हुआ
चाँद सूरज फलकी दुनिया, से जहाँ दो बन गया
“एहम” और “वहम” जो कि असल में “राहू और केतू” का ही रूप है और इनके चलते ही दुनियावी दुख, सुख, बीमारी, फसादात आदि बने रहते हैं और इसी को छोड़ना नेक नियति है, जैसे:
बद लालच गर दुनिया मारे, नेक दान को गिनते हैं
आकाश और धरती का घूमना भी सांसारिक जीवन का एक हिस्सा है जिसका ताल्लुक गृहस्त की चक्की से भी है और यही “एहम और वहम” यानि पाप को छोड़ना ही इन्सान की तक़दीर की बुनियाद है, जैसे:
अभी तो चाक पे जारी है रक्स मिट्टी का
अभी कुम्हार की नियत बदल भी सकती है
अमर अगरवाल
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