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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘लालबहादुर शास्त्री की जीवनी’ का सार
लालबहादुर शास्त्री सादा जीवन, उच्च विचार के हिमायती थे। विवेकानंद व महात्मा गांधी के विचारों का गहरा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा था। वे कथनी और करनी में अंतर नहीं करते थे।
वे कांग्रेस के एक साधारण कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक अपनी कार्यक्षमता से पहुंचे थे।
पंडित नेहरू के निधन के बाद उन्होंने देश की बागडोर तब संभाली, जब देश खाद्य-संकट से गुजर रहा था। तभी 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। उन्होंने इन दोनों संकटों से मुक्ति के लिए ‘जय जवान, जय किसान’ का जयघोष किया। फलस्वरूप देश को खाद्य-संकट से निजात मिलने लगा, वहीं भारत, पाकिस्तान से युद्ध जीत गया।
11 जनवरी 1966 की रात उनका रहस्यमय ढंग से देहावसान तब हो गया, जब वे ताशकंद समझौता करने सोवियत संघ गए हुए थे। यह रहस्य, रहस्य ही रह गया!
इन्हीं स्थितियों का विश्लेषण करता हुआ ‘छोटे कद के बड़े इंसान’ की ‘जीवनी’ पठनीय व संग्रहणीय है।
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लेखक
वीरेंद्र देवांगन
लेखक-परिचय
लेखक शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त हैं। लिखने-पढ़ने में रुचि ने उन्हें सेवानिवृत्ति के उपरांत भी लेखन-कर्म में संलग्न रखा है।
उनकी दो दर्जन से अधिक किताबें अमेजन किंडल एवं नोशन प्रेस में छपी हैं, जिनमें लघुकथाएं, व्यंग्य-रचनाएं, बालकथाएं, उपन्यास, जीवनियां और प्रबंध प्रमुख हैं। लेखक ब्लाग भी लिखते हैं।
उनकी लघुकथाएं, व्यंग्य-लेख, बाल कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। वे प्रतियोगिता परीक्षा-संबंधी लेखन भी करते हैं, जो प्रतियोगिता परीक्षा-संबंधी पत्रिकाओं में सतत् प्रकाशित होती रहती हैं।
लेखक
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