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Mahabharat aur vishvabharata / महाभारत और विश्वभारत

Author Name: Lava Kush Singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विषय- सूची

ऋषि
वेद
उपनिषद्
ऋषि परम्परा

भाग-1 : व्यास
लेखक/शास्त्राकार
शास्त्र
व्यास
लेखकों/शास्त्राकारों के आदि पुरूष प्रतीक व्यास
वेदव्यास शास्त्र  लेखन कला

भाग-2 : महाभारत
अठ्ठाइसवें व्यास – कृष्ण द्वैपायन
महाभारत 
गीता दर्शन
ऐतिहासिक एवं भाषाई प्रमाण
पुरातत्व प्रमाण (1900 ई0पू0 से पहले)
महाभारत कथा
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त अनुसार “महाभारत”

भाग-3 : तीसरायुग : द्वापरयुग
आठवाँ अवतार : श्रीकृष्ण अवतार

भाग-4 : विश्वभारत
भारतीय शास्त्रों की एक वाक्य में शिक्षा
विश्वशास्त्र
विश्वशास्त्र की स्थापना
रचना क्यों? 
आविष्कार किस प्रकार हुआ?
उपयोगिता क्या है? 
बाद का मनुष्य, समाज और शासन
कितना छोटा और कितना बड़ा? 
एक ही शास्त्र-साहित्य के विभिन्न नाम
विश्वव्यापी स्थापना का स्पष्ट मार्ग
सम्बन्धित स्थान?
विश्वभारत
कर्म वेदान्त और -विकास दर्शन
कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम तथा पंचमवेद

भाग-5 : चौथा युग : कलियुग

समाज रचना और व्यापार का आधार
सृष्टि, ईश्वरीय समाज और व्यापार
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार काल, युग बोध एवं अवतार
“सम्पूर्ण मानक” का विकास भारतीय आध्यात्म-दर्शन का मूल और अन्तिम लक्ष्य

भाग-6 : पाँचवाँयुग : सत्ययुग/स्वर्णयुग

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लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

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