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murdon ka shahr / मुर्दों का शहर

Author Name: Shashi Kumar | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

यहाँ प्रस्तुत कविताएं समाजिक व्यवस्थाओं पर आधारित है, यदि हम तटस्थ होकर सोचें तो क्या आजादी के इतने दिनों बाद भी क्या सही माइने में हमारी स्थिति में कोई सुधार हुआ है? आम जनता आज भी वही गरीबी,शोषण और भ्रस्टाचार से पीड़ित है। आज देश में जितना साकार बेलगाम हुई है, उससे ज्यादा यहाँ अफसरशाही बढ़ी है। 

आज हमें यह सोचने की आवश्यकता है कि आखिर क्यों आजादी के इतने दिनों के बाद भी परिस्थितियाँ जस-की-तस है। आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग अशिक्षित, और विकट परिस्थितियों में अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। 

आज तक अनेकों देश के भाग्यविधाता बनें लेकिन देश का भाग्य क्यों नहीं बदल सका। अगर देश के भाग्य को बदलने की क्षमता किसी में  न होती है तो क्यों स्वयं को भाग्यविधाता कहलवाते हैं। 

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शशि कुमार

शशि कुमार 

जन्म- 1996 शिवपुर लौगाँय, हवेली खड़गपुर,मुंगेर। 

शिक्षा- भागलपुर विश्वविद्यालय से स्नातक। 

सामाजिक कार्य तथा देश में फैले विभिन्न प्रकार के असमानताओं पर लिखना। 

अन्य रचनाएं- लास्ट एग्जाम, कसक, मेरे जज़्बात इत्यादि।  

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