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Paripurn Ho Tum / परिपूर्ण हो तुम पचास वर्ष परमहंस योगानन्द के संग / Pachaas Varsh Paramhans Yogananda Ke Sang

Author Name: Omprakash Shah Gangola | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

यह पुस्तक 

एक दुनियादार व्यक्ति की पचास वर्ष के योगाभ्यास के अनुभवों की सच्ची रोचक कथा है।

यह योग मार्ग इस आधुनिक विचार रखने वाले व्यक्ति को संयोग से 'ऑटोबायोग्रेफी ऑफ ए योगी' पढ़ने से मिला। परमहंस योगानन्द की पुस्तक का यह अध्येता शीघ्र ही उनके योगपाठों का नियमित अभ्यास करने लगा। वह आज मानता है कि इन ध्यान एकाग्रीकरण के अभ्यासों से उसके जीवन की राह सुगम होती गयी। आज अपनी चतुर्थावस्था में भी वह पूर्ण सक्रिय है और जीवन का आनन्द ले रहा है। 

परमहंस योगानन्द भारतीय योग को अपनी पूर्णता और पश्चिमी अनुकूलता में सर्वप्रथम अमरिका ले गये और १९२० से अपने अन्त समय १९५२ तक निरन्तर वहीं रह कर अपनी शिक्षाओं का प्रचार करते रहे। लेखक उन्हें वास्तविक अथों में जगतगुरु मानता है। 

योग मूलतः ध्यान एकाग्र करने की वैज्ञानिक विधि है और इस उपलब्ध्ता से संसार और परमार्थ को एक साथ पाया जा सकता है।

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ओमप्रकाश शाह गंगोला

ओमप्रकाश शाह गंगोला

जन्म 1944 के एक ठंडे दिन सैलानियों के शहर नैनीताल में, पालनपोषण व प्रारंभिक शिक्षा सांस्कृतिक शहर अल्मोड़ा में, माध्यमिक शिक्षा सुदूर नेपाल के निकट सुरम्य प्राकृतिक छटा वाले नारायणनगर-पिथोरागढ़ से, उच्च शिक्षा नैनीताल से प्राप्त की और कुछ समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी सम्पर्क रहा। 

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में 1970-1972 तक वैज्ञानिक पुस्तकों के अनुवाद का कार्य। 1973-2004 तक राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापन व प्रशासनिक कार्य। 

शौक-पर्यटन, देश-विदेश। अध्यात्म साधना में विशेष रूचि। 

प्रकाशित कृतियां:

कथा संग्रह- आतंक तथा अन्य कहानियां, आगमन, प्रेम रश्मियां

जीवनी-हमारे पालन हार

पर्यावरण लेखन- एक बोध कथा-पानी की माया

कतिपय पत्र- पत्रिकाओं का सम्पादन

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