Share this book with your friends

parivartan-kaal, manu, yug, vyaas aur shaastra / परिवर्तन-काल, मनु, युग, व्यास और शास्त्र

Author Name: Lava Kush singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

मानव सभ्यता का विकास और जाति की उत्पत्ति
अ. पौराणिक वंश         
     1. मनुर्भरत वंश की प्रियव्रत शाखा         
     2. मनुर्भरत वंश की उत्तानपाद शाखा 
ब. ऐतिहासिक वंश        
     1. ब्रह्म वंश        
     2. सूर्य वंश        
     3. चन्द्र वंश 
स. भविष्य के वंश
गोत्र

भाग-1 : काल
प्रारम्भ के पहले दिव्य-दृष्टि 
रूप या मार्ग या प्रमाण या काल या सत्य
काल

भाग-2 : मनु
मनु  
मनवन्तर 
आठवाँ सावर्णि मनु और लव कुश सिंह “विश्वमानव”

भाग-3 : युग
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार काल, युग बोध एवं अवतार

भाग-4 : व्यास
वेदव्यास 
लेखकों/शास्त्राकारों के आदि पुरूष प्रतीक व्यास
वेदव्यास शास्त्र लेखन कला

भाग-5 : शास्त्र
लेखक/शास्त्राकार
शास्त्र
व्यष्टि और समष्टि धर्मशास्त्र
शास्त्रार्थ, शास्त्र पर होता है, शास्त्राकार से और पर नहीं
युगानुसार धर्म, प्रवर्तक और धर्मशास्त्र

भाग-6 : परिवर्तन
व्यवस्था के परिवर्तन या सत्यीकरण का पहला प्रारूप और उसकी कार्य विधि 
विश्वात्मा/विश्वमन का विखण्डन व संलयन
           अ. सांख्य दर्शन
            ब. धर्म विज्ञान (स्वामी विवेकानन्द)
            स. आत्मा और विश्वात्मा
              1. रज मन
              2. तम मन 
              3. सत्व मन 
           निवृत्ति मार्गी 
           प्रवृत्ति मार्गी 
           अवतारी मन
विकासवाद
अवतारवाद
ईश्वर, अवतार और मानव की शक्ति सीमा
अदृश्य काल में विश्वात्मा का प्रथम जन्म - योगेश्वर श्री कृष्ण          
दृश्य काल में विश्वात्मा के जन्म का पहला भाग - स्वामी विवेकानन्द
दृश्य काल में विश्वात्मा के जन्म का अन्तिम भाग - भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“

Read More...
Paperback
Paperback 350

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

लव कुश सिंह “विश्वमानव”

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

Read More...

Achievements

+5 more
View All