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Raghuveer Sahay ke Gadya Sahitya mein Samajik Chetna / रघुवीर सहाय के गद्य साहित्य में सामाजिक चेतना रंगीन आँकड़े, रेखाचित्र व लेखाचित्र सहित

Author Name: Dr. Arti 'lokesh' | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य में रघुवीर सहाय के अद्वितीय लेखन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर गंभीरता से लिखा है। वे व्यापक अर्थों में साहित्यकार हैं उनके साहित्य का प्रयोजन कालातीत है। उनके लिए साहित्य उनके शब्द और कर्म दोनों में रचा बसा है। साहित्य की आधारभूमि पर स्थित रहकर वे राजनीति, समाज, कानून, इतिहास, संस्कृति, आर्थिक विकास आदि सभी क्षेत्रों में भ्रमण करते हैं। उनके कविता संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

रघुवीर सहाय का इतना प्रबल गद्य साहित्य उपलब्ध होते हुए भी उनके व्यक्तित्व को सदा एक कवि के नज़रिए से देखा, समझा व आँका गया है। उनकी कविताओं पर तो आलोचकों का खूब ध्यान गया है, उनकी समुचित आलोचनात्मक व्याख्या भी हुई है परंतु वह गद्य, जो उनकी कविता से कहीं आगे जाता है, कुछ हद तक उपेक्षित सा प्रतीत होता है। बहुमुखी विकास और समानता के अवसर की राह दिखाने वाले उनके गद्य पर गंभीर कार्य का अभाव दृष्टिगोचर होता है। गद्य की समस्त विधाओं में उनका साहित्य उपलब्ध होने के कारण उनके साहित्य पर शोध का कार्य चुनौती भरा अवश्य है किंतु असंभव नहीं। शोध कार्यों का अनुसंधान करने से यह ज्ञात हुआ कि अधिकांश शोधार्थियों ने उनकी काव्य रचना पर ही अधिक कार्य किया है। इसलिए मौलिक शोध कार्य के हित मैंने अपने शोध का विषय ‘रघुवीर सहाय के गद्य में सामाजिक चेतना’ का चयन किया। अपने शोध कार्य को अन्य शोधार्थियों के अध्ययन व सुविधा के लिए इस शोध ग्रंथ को मैं शिक्षा जगत को सौंपती हूँ।  

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डॉ. आरती 'लोकेश'

दुबई निवासी तथा उत्तर प्रदेश के सुशिक्षित-संभ्रांत परिवार की पुत्री डॉ. आरती ‘लोकेश' ने अंग्रेज़ी साहित्य स्नातकोत्तर में कॉलेज में द्वितीय स्थान व दिल्ली से हिंदी साहित्य स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। राजस्थान से हिंदी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की। तीन दशकों से विभिन्न शैक्षणिक पदों पर कार्यरत शिक्षाविद डॉ. आरती यू.ए.ई के प्रतिष्ठित विद्यालय में प्रशासनिक पद पर आसीन हैं। साथ ही साहित्य की सतत सेवा में लीन हैं। पत्रिका, कथा-संग्रह, कविता-संग्रह संपादन तथा शोधार्थियों को सह-निर्देशन का कार्यभार भी सँभाला हुआ है। कुल प्रकाशित सात पुस्तकों में से उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’, ‘कारागार’; काव्य संग्रह ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’, ‘प्रीत बसेरा’ तथा कहानी-संग्रह ‘साँच की आँच’ बहुत चर्चित हुए हैं। काव्य-संग्रह ‘काव्य रश्मि’, कथा-संकलन ‘झरोखे’ तथा शोध ग्रंथ ‘रघुवीर सहाय के गद्य में सामाजिक चेतना’ की ई-पुस्तक भी प्रकाशित है। 

अनेक कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं  ‘शोध दिशा’, ‘इंद्रप्रस्थ भारती, ‘गर्भनाल’, ‘वीणा’, ‘परिकथा’ ‘दोआबा’ तथा ‘समकालीन त्रिवेणी’ में प्रकाशित हुई हैं। 

आलेख: ‘वर्तनी और भ्रम व्याप्ति’ ‘गर्भनाल’ पत्रिका तथा ‘खाड़ी तट पर खड़ी हिंदी’ ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। 

प्रवासी साहित्य: कविताएँ ‘मुक्तांचल’ पत्रिका के ‘प्रवासी कलम’ कॉलम में प्रकाशित हैं। 

‘माँ तुम मम मोचन’ तथा ‘तुम बिन जाऊँ कहाँ’ कविताएँ साहित्यपीडिया द्वारा पुरस्कृत, सम्मानित तथा काव्य-संग्रह ‘माँ’ व ‘कोरोना’ में संकलित हैं। 

यात्रा संस्मरण-  ‘प्रणाम पर्यटन’ नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में यूक्रेन देश का यात्रा संस्मरण ‘कीव- नैपर नदी के तट पर’, यात्रा वृत्तांत: ‘अद्वितीय सुषमा का धनी: मोंटेनेग्रो’ तथा अन्य यात्रा संस्मरण: ‘सुरम्य घाटियों-पहाड़ियों का देश-बिशकेक’ प्रकाशित हुआ। 

तथ्यात्मक आलेख ‘अरब संस्कृति की झाँकी: संयुक्त अरब अमीरात’ प्राचीनतम पत्रिका ‘वीणा’ में 2 खंडों में प्रकाशित है। 

अंग्रेज़ी आलेख: अंग्रेज़ी भाषा में खाड़ी देशों की साप्ताहिक पत्रिका ‘फ्राइडे’ में समय-समय पर प्रकाशित  हुए। 

शोध-पत्र, लेख, लघुकथाएँ एवम् कविताएँ आदि विभिन्न साझा-संग्रहों में प्रकाशित हुईं। 

डॉ. आरती को लेखन का शौक बाल्यकाल से ही रहा। माता-प

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