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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palलघु कथाओं का संकलन
ईश्वर की मानव रचना की कारीगरी पर नतमस्तक हूं। उन्होंने एक मां को सन्तानोत्पति की क्षमता एक निश्चित आयु तक ही दी जिससे उनकी रचना को यथोचित पालन पोषण व संरक्षण मिले। यानि जब संतान को देखभाल की आवश्यकता होती है तब माता पिता में संतान की देखभाल कर पाने की क्षमता होती है पर जब समय आयु को बढ़ाता है तथा संतान युवा हो जाती है और माता पिता वृद्ध, उस समय सन्तान में क्षमता होती है और माता पिता को देखभाल की आवश्यकता।
इसी आवश्यकता की ओर इंगित है यह कहानी संग्रह ‘सांझी सांझ (खंड- २)’। अपने आज के कर्म का यथाशक्ति निर्वहन सुखमय भविष्य की नींव है। इंसान अपने समय अनुसार अपने दायित्व को समझे और स्वालंबी हो कर स्वयं ही जीने की राह खोजे।
जे वी मनीषा
जे वी मनीषा – लेखिका, निर्देशिका और समाज सेवी, रचनात्मक मीडिया क्षेत्र में पिछले ३२ वर्षों से कार्यरत हैं। जे वी मनीषा भावनात्मक अभिव्यक्ति से लगभग ९ वर्ष की आयु से जुड़ गई थीं, जब उन्होंने अपनी पहली कविता स्कूल के मंच से पढ़ी और उनका सफ़र लाल क़िले के प्रतिष्ठित कवि सम्मेलन तक जा पहुँचा।। दूरदर्शन की प्रमुख उद्घोषिकाओं में से एक जे वी मनीषा ने दूरदर्शन के लिए एक ऊँची टी आर पी शो ‘सफ़र ज़िंदगी का’ का निर्माण किया जो २००० के दशक के मध्य में प्रसारित किया गया था। उन्होंने कई कार्यक्रम, टेलिफ़िल्म, विज्ञापन, टेली सीरियल आदि में अभिनय, निर्देशन, निर्माण व लेखन किया। उनके समवेदनशील पक्ष ने उन्हें देश के बुजुर्गों से भावनात्मक तौर पर जोड़ा जिसके तहत २००३ में हरिकृत नामक स्वयं सेवी संस्था की स्थापना हुई और वे इसकी संस्थापक सचिव हैं। इस संस्था का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की ज़रूरतों के बारे में जागरूकता पैदा कर उनके लिए एक बेहतर माहौल तैयार करना है, जो पीढ़िगत अंतर को पाटने में सहायक हो। १९ वर्षीय इस संस्था के माध्यम से वे अधिक वृद्ध आश्रमों के स्थान पर ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम कर रही हैं जो एक-दूसरे के प्रति समवेदनशील हो, विशेषकर बुजुर्गों के प्रति। जे वी मनीषा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और चार प्रकाशित पुस्तकों की लेखिका भी। सांझी साँझ के खंड के पश्चात उनका नया उपन्यास भी पाठकों के लिए शीघ्र ही उपलब्ध होगा।
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