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10 Years of Celebrating Indie Authors
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमनुष्य जब इस संसार में आता है तब उसे कुछ पता नहीं होता। उसे उसके माँ-बाप, रिश्तेदार, दोस्त, अध्यापक आदि, जो कुछ सीखा देते है वहीँ ज्ञान उसे जीवन जीने की दिशा देता है। किन्तु वह ज्ञान कितना सही है और कितना गलत, इसका फैसला कैसे हो? इसका फैसला होता है ईश्वर द्वारा रचित ग्रंथों से। आप किसी भी धर्म को क्यों न चुने, इससे कोई फरक नहीं पड़ता। क्यूंकि कोई भी धर्म आपस में लड़ना, झगड़ना या किसी को तकलीफ देना नहीं सिखाता। किन्तु मनुष्य को इसका ज्ञान लोगों से मिलता है, वह लोग जिन्होंने शायद उन ग्रंथों को ठीक तरीके से पढ़ा नहीं या समझा नहीं। इसीलिए यदि आपको जीवन को समझना है तो उससे पहले अपने ग्रंथों को खुद पढ़े और उसे समझने की कोशिश करें की ईश्वर आपसे क्या कहना चाहते है। यह इस प्रकार होगा जैसे आजकल की दुनिया में किसी खेल के नियम होते है। यदि आपको नियम नहीं पता होंगे तो क्या आप उस खेल को सही तरीके से खेल पाएंगे, नहीं।
अब सवाल यह आता है की हमें कोन से ग्रन्थ पढ़ने चाहिए या किस धर्म को स्वीकार करना चाहिए। इसका उत्तर है की आपको सभी ग्रंथों को पढ़ना चाहिए और सभी धर्मों को समझना चाहिए। अब जिस प्रकार किसी मंज़िल तक पहुँचने के रास्ते अलग-अलग हो सकते है किन्तु सबकी मंज़िल तो एक ही है। ईश्वर एक वृक्ष है, जिसकी अलग-अलग जड़ों को धर्म का रूप दे दिया है। हर टहनी यानि हर धर्म से कुछ पत्ते यानी लोग निकलते है। किन्तु हर टहनी यह भूल जाती है की उसकी जड़ एक ही है, उसके उत्पन्न हुए पत्ते भी एक जैसे ही है। जो मनुष्य इस बात को समझ पाता है, वह सदैव जीवन में सफलता प्राप्त करता है। यही कारण है की संसार में केवल कुछ ही लोग कामयाब हो पाते है, क्यूंकि वह अपने ग्रंथों का पूरा ज्ञान रखते है।
नीलेश कुमार अग्रवाल
भारतीय पौराणिक लेखक नीलेश कुमार अग्रवाल को आईकॉन्स ऑफ एशिया 2022 द्वारा एक उत्कृष्ट लेखक के रूप में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। लेखक ने दिल्ली में होटल रेडिसन बीएलयू द्वारका में एक समारोह में पुरस्कार स्वीकार किया। नीलेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि ग्लोबल एम्पायर इवेंट्स द्वारा दी गई मान्यता प्राप्त करने के लिए वह "विनम्र और गहराई से सम्मानित" थे। प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने क्षेत्र के नेताओं को सम्मानित करता है जो सामाजिक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हैं और एक मजबूत समाज के निर्माण के लिए जुनून को दर्शाते हैं।
आज के आधुनिक समय में जहां लोग अधिक काल्पनिक कहानियाँ पढ़ने में रुचि रखते हैं। श्री नीलेश कुमार अग्रवाल अब डॉ. देवदत्त पटनायक, कविता केन, चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी, अमीश त्रिपाठी, अश्विन सांघी और कई अन्य लोगों के बाद शीर्ष दस पौराणिक लेखकों में स्थान पर हैं, जिन्होंने एक पौराणिक मोड़ के साथ समाज को प्रबुद्ध करने में जबरदस्त काम किया है। . इन लेखकों को समाज में भारतीय संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जाना जाता है।
25 दिसंबर 1989 को मेरठ में जन्मे नीलेश कुमार अग्रवाल उत्तर प्रदेश के मेरठ में पले-बढ़े। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा C.J.D.A.V पब्लिक स्कूल, मेरठ से पूरी की।, और एमएआईएसएम, जयपुर से स्नातक किया। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "इंडियन ट्रेडिशन्स एंड देयर साइंटिफिक रीजन्स" जिसकी केवल एक वर्ष के भीतर 80000 से अधिक प्रतियां बिकीं, ने उन्हें भारत में शीर्ष दस पौराणिक लेखकों की सूची में स्थान दिलाने में मदद की। उन्होंने शिव वाणी, कृष्ण वाणी, श्री गणेश, शिव-कृष्ण-हनुमान-गणेशजी केउपदेश जैसी कई अन्य पुस्तकें भी लिखी हैं।
शिव वाणी के लिए उनके पॉडकास्ट ने सभी प्लेटफार्मों पर 100000+ से अधिक बार देखा गया है, जिसमें Spotify, Google पॉडकास्ट, गाना, Jio Saavn, Wynk, Hungama, Hubhopper, और कई अन्य शामिल हैं, जो इसके रिलीज होने के एक महीने के भीतर हैं। श्री नीलेश कुमार अग्रवाल एनजीओ 'नीलेश स्टालियन फाउंडेशन' के संस्थापक भी हैं, जो एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है जो सभी जीवित प्राणियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करता है और पर्यावरण के अनुकूल स्टार्ट-अप परियोजनाओं को निधि देता है।
उनकी सभी पुस्तकें बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई हैं, चाहे वह अंग्रेजी में हो या हिंदी में। आप उनकी सभी पुस्तकें Amazon.in, Flipkart.com, Notionpress.com और अन्य सभी प्रमुख प्लेटफॉर्म पर आसानी से पा सकते हैं।
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