मैं मोहम्मद ज़ीशान दिल्ली का निवासी हूँ, क़लम की कारीगरी की पहचान बताता हूँ । मैं ख़ुद को ख़ुश-क़िस्मत समझता हूँ, जो मुझे बेहद अच्छे ग़ज़ल-कारों का साथ मिला,जिन्होनें इस नायाब क़िताब "ता- हद्द-ए-नज़र"को मुक़म्मल करने में मदद की ।
इस क़िताब में क़लम की कारीग़री से हर इक शख़्स ने ज़ज़्बातों को बेहद ही उम्दा तरीके से इस क़िताब के लफ़्ज़- लफ़्ज़ को ख़ास बना दिया । सब शायरों की महफ़िल ने एक उरूज़ -ए- एहसासों से रू- ब -रू कराया है । उन्होंने अपनी ग़ज़ल और शायरियों के ज़रिए उन