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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं मोहम्मद ज़ीशान दिल्ली का निवासी हूँ, क़लम की कारीगरी की पहचान बताता हूँ । मैं ख़ुद को ख़ुश-क़िस्मत समझता हूँ, जो मुझे बेहद अच्छे ग़ज़ल-कारों का साथ मिला,जिन्होनें इस नायाब क़िताब "ता- हद्द-ए-नज़र"को मुक़म्मल करने में मदद की ।
इस क़िताब में क़लम की कारीग़री से हर इक शख़्स ने ज़ज़्बातों को बेहद ही उम्दा तरीके से इस क़िताब के लफ़्ज़- लफ़्ज़ को ख़ास बना दिया । सब शायरों की महफ़िल ने एक उरूज़ -ए- एहसासों से रू- ब -रू कराया है । उन्होंने अपनी ग़ज़ल और शायरियों के ज़रिए उन्हें उम्दा और बेहतरीन बनाने में अपना अहम् क़िरदार निभाया है जो कि बेहद क़ाबिल- ए – तारीफ़ है ।
इन सभी के ख़्यालों में छिपे ग़म – ए - हालात से ख़्वाहिशों की तिश्नगी तक का सफ़र तय किया गया है । तो हम सभी की यह गुज़ारिश है आप उन सभी पढ़ने वालों से जो हमें पढ़ रहे हैं, इस क़िताब के ज़रिए से तो ख़ुद को रू-ब-रू कराएं इससे और इसमें लिखे गए हर इक लफ़्ज़ को सराहें अपने लफ़्ज़ों से और सोच से हमारे सभी क़लम के कारीग़रों की महफ़िल में ख़ुद को सजाकर हमें ख़ुशनसीबी से नवाज़े । यही हमारी दिली तमन्ना है और अब हम सभी आपसे अलविदा लेते हैं आप सभी को हम सभी का सलाम है जाते – जाते दो मिसरे हमारी तरफ़ से |
मोहम्मद ज़ीशान
दिल्ली, जामिया मिल्लिया इस्लामिया से ग्रेजुएट और इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से कर रहे मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (पोस्ट ग्रेजुए) मुहम्मद ज़ीशान जी वैसे पेशे से एक शायर हैं और साथ ही साथ एक प्राइवेट कंपनी में भी कार्यरत हैं !! और जब बात आती है कि, उन्हें कब शायरी की समझ आई तो हम आप सभी की जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि, उन्होंने हमें बताया है उन्हें शायरी की समझ लगभग 2011 में शायरी वगैरह की समझ आई थी उनका कहना है सबसे पहली शायरी उन्होंने अपने एक दोस्त के लिए अपने स्कूल वक़्त में लिखी थी और वो आज भी अपने उस दोस्त के शुक्र्गुज़ार हैं, कि, जिन्होनें उन्हें आगे बढ़ने में मदद की तभी से लिखते आ रहे हैं 2020 में उनकी सबसे पहली किताब published हुई थी Bluerose Publication house से जिसका नाम था सुकून – ए - दिल और उसके बाद से लेकर अब तक उन्होंने अब तक 10 किताबें इनकी अभी तक published हो चुकी हैं जिसमें सबसे पहली थी सुकून – ए – दिल और इसके 9 और भी अन्य किताबें हैं जिनका नाम है तन्हाई, A Quarantine Love Story, चाय, मुसाफ़िर (अनजान राहों का), हमराज़, ज़र – ए – एहसास, My College Love Story, और अंतिम है सफ़ - ए – ग़ज़ल ये सारी किताबें अलग अलग publication house published हो चुकी हैं जिसमें शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और कहानियों की क़िताबें शामिल हैं !! इसके अलावा ये एक ग़ैर सरकारी संस्थान भी चलाते हैं जिसका नाम है kalam Foundation of resources और साथ ही साथ इन्होनें एक पब्लिकेशन हाउस भी शुरू किया है जिसका नाम है kuhan publication house, 2011 से 2023 तक का उनका सफ़र काफी मुश्किलों और मशक्कतों भरा रहा है या यूँ कहना भी ग़लत नहीं होगा कि, एक आम इंसान से लेकर एक शायर बनने का सफ़र काफी मुश्किलों भरा रहा है और यह सफ़र अभी भी जारी है ज़िन्दगी में मुश्किलों का आना लाज़मी हैं वरना ज़िन्दगी फ़िर ज़िन्दगी नहीं लगती है उनका कहना यह है अपनी लिखीं शायरियों को लेकर कि जब नहीं लिखे तब एक अजब सी कश- म- कश में रहते हैं जैसे कुछ अधूरा सा हो और जब वो लिखते हैं तो उनको एक अलग सुकून मिलता है इसी पर इन्होनें दो मिसरे लिखें हैं जो कि इस तरह से हैं !!
एक दर्द हमारे दिल में दर्द कुछ आम सा रहता है,
लिखते हैं जब हम शायरी तब थोड़ा आराम सा रहता है!!
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