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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘टुकड़े-टुकड़े सच’ डॉ. मनोज कुलश्रेष्ठ द्वारा 40 वर्षों की अवधि में लिखी गई कविताओं का संग्रह है। ये कविताएँ किशोरावस्था से शुरू होकर सेवानिवृत्त होने तक की उनकी जीवन-यात्रा दर्शाती हैं। यह यात्रा जीवन की अशांति, प्रेम और पीड़ा, दर्द और अलगाव से गुज़रते हुए ... अस्तित्व के अर्थ की उनकी खोज को रेखांकित करती है। कई संवेदनशील व्यक्ति, जो जीवन की उथल-पुथल, उसकी पीड़ा और इन भावनाएं से गुज़रे हैं ... शायद इन कविताओं में खुद को देख सकें। एक तरह से कविताओं का यह संकलन उनका अपने-आप को तलाशने और संजोने का प्रयास है।
मनोज कुलश्रेष्ठ
डॉ. मनोज कुलश्रेष्ठ मूलतः एक शिक्षाविद हैं। वह कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग में शिक्षण और अनुसंधान में सक्रिय रहे हैं। 1988-91 के अंतराल में उन्होंने कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप के अंतर्गत ब्रिटेन की रैडिंग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और ब्रिटिश MENSA के सदस्य भी रहे। लगभग 3 दशकों के अपने शैक्षिक कैरियर में वह कई सम्मानों के पात्र रहे।
व्यक्तिगत स्तर पर, वह एक गंभीर विचारक और संवेदनशील कवि हैं। पढ़ने का उन्हें विशेष शौक़ है। उनका दृष्टिकोण तार्किक, दार्शनिक, आध्यात्मिक और मानवतावादी है। उनका लेखन अधिकतर व्यक्तिगत और अप्रकाशित रहा है।
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